देवरिया : साल 2022 का आखिरी चंद्र ग्रहण आठ नवंबर को लग रहा है। इस दिन कार्तिक पूर्णिमा भी है। यह चंद्र ग्रहण भारत सहित विश्व के कई हिस्सों में दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण, ये दोनों ही खगोलीय घटनाएं हैं, जो हर साल घटित होती हैं। लेकिन सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात ये है कि सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि पर और चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि पर ही लगता है। ऐसा क्यों होता है, कभी आपके दिमाग में ये सवाल आया? अगर नहीं तो आइए आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं।
कैसे लगता है चंद्र ग्रहण?
दरअसल, पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है और चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर लगाता है। इस कड़ी एक क्षण ऐसा आता है जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है। तीनों के एक सीध में होने के कारण चंद्रमा तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती और इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
पूर्णिमा के दिन ही क्यों लगता है?
अब सवाल उठता है कि चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन ही क्यों पड़ता है, लेकिन हर पूर्णिमा पर क्यों नहीं पड़ता? हर बार पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण न लगने की वजह ये है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा करीब 5 डिग्री तक झुकी हुई है। इस झुकाव के कारण हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता। कई बार पृथ्वी के ऊपर या नीचे से निकल जाता है। इस कारण हर पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता। लेकिन जब भी चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है, वो पूर्णिमा का दिन ही होता है। इसकी वजह है कि चंद्र ग्रहण तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में हो और ज्यामितीय प्रतिबन्ध के कारण केवल पूर्णिमा के दिन ही संभव है। इसलिए चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन ही लगता है।
अमावस्या के दिन क्यों लगता है सूर्य ग्रहण?
पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाने में चंद्रमा को 27 दिन लगते हैं। जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है। अमावस्या के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है, इसलिए ज्यादातर सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन होते हैं।
8 नवंबर का चंद्र ग्रहण कितने बजे लगेगा?
ज्योतिषाचार्य की मानें तो भारतीय समय के अनुसार अगर दुनिया में चंद्र ग्रहण की शुरुआत 8 नवंबर को दोपहर में 02:39 मिनट पर होगी। लेकिन भारत में ग्रहण चंद्रोदय के समय से दिखाई देगा। भारत में चंद्र ग्रहण की शुरुआत शाम 05:29 को शुरू होगा और शाम को 18:19 बजे तक समाप्त हो जाएगा। पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में लोग पूर्ण चंद्र ग्रहण के गवाह बनेंगे, वहीं देश के बाकी हिस्सों में लोगों को केवल ग्रहण का आंशिक चरण ही नजर आएगा।