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देवोत्थान एकादशी आज, शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य, राशि के अनुसार करें ये अचूक उपाय

देवरिया : हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवोत्थान एकादशी व्रत रखा जाता है। इसी दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं। इसीलिए इसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है। देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान की विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और समय

देवोत्थान एकादशी साल में आने वाली सभी 24 एकादशी में सबसे महत्वपूर्ण होती है। इस वर्ष देवोत्थान एकादशी 4 नवंबर यानी शुक्रवार को मनाई जाएगी। एकादशी की तिथि तीन नवंबर यानी गुरुवार रात आठ बजकर 51 मिनट पर लग जाएगी और चार नवंबर शुक्रवार को शाम सात बजकर दो मिनट तक रहेगी। सूर्योदय व्यापिनी तिथि की वजह से हरि प्रबोधिनी एकादशी का व्रत 4 नवंबर को ही होगा। जबकि इसका पारण 5 नवंबर 2022 को किया जाएगा। इस दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है।

इस साल देवोत्थान एकादशी और तुलसी विवाह 4 नवंबर को है। हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत अधिक महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह करने से वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाता है।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, प्रत्येक वर्ष की आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवशयनी या हरिशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, से जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी के दिन जागते हैं। भगवान विष्णु जब निद्रा में होते हैं तब हिंदू धर्म में होने वाले तमाम तरह के शुभ कार्यों पर चार महीने की रोक लग जाती है।

मान्यताओं के अनुसार देवोत्थान एकादशी पर जगत के पालनहार की विशेष पूजा कर उन्हें नींद से जगाया जाता है और इसी दिन चातुर्मास व्रत समाप्त हो जाता है और सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह ,मुंडन ,जनेऊ, गृह प्रवेश, यज्ञ जैसे कार्यों की शुरुआत हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक मास में श्रीहरि जल में निवास करते हैं।

कब से शुरू होंगे विवाह मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, 4 नवंबर से मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे लेकिन इस बार शुक्र ग्रह अस्त होने से देवोत्थान एकादशी पर विवाह का मुहूर्त नहीं है। इस संदर्भ में प्रथम विवाह मुहूर्त 24 नवंबर से प्राप्त होगा।

नवंबर महीने में विवाह मुहूर्त- 24, 25, 26

दिसंबर में विवाह मुहूर्त -2,3,7,8,9,13,14,15,16 इसके पश्चात् खरमास प्रारंभ हो जाएगा।

राशि के अनुसार करें विशेष उपाय

मेष राशि : मेष राशि के जातक देवउठनी एकादशी पर श्रीहरि को गुड़ का भोग लगाकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इससे कर्ज से मुक्ति मिलेगी। साथ ही सुख-समृद्धि का वास होगा।

वृषभ राशि : इस राश वालों को इस दिन भगवान विष्णु को पंचामृत या पंजीरी का प्रसाद अर्पित करना चाहिए। कहते हैं कि इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मिथुन राशी : श्रीहरि विष्णु को तुलसी दल अर्पित कर – नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये मंत्र का जाप करें। मान्यता है इससे सुखी वैवाहिक जीवन में वरदान प्राप्त होता है।

कर्क राशि के जातक इस दिन शुभ मुहूर्त में घी का दीपक लगाकर जगत के पालन हार को सफेद चंदन अर्पित कर मध्यरात्रि में कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। इससे संतान संबंधि समस्याओं का निवारण होता है।

सिंह राशि : सिंह राशि अच्छे स्वास्थ की कामना पूर्ति हेतु दक्षिणावर्ती शंख में कच्चा दूध और गंगाजल डालकर विष्णु जी का अभिषेक करें।

कन्या राशि : इस राशि के जातकों को गीता पाठ करना शुभ रहेगा। मान्यता है इससे व्यापार और नौकरी में आ रही बाधाएं दूर होती है।

तुला राशि: इस राशि के लोग शाम के समय विष्णु जी को पीले फूल और पीली मिठाई का भोग लगाएं। साथ ही पीली वस्तुओं का दान करें। इससे मानसिक और शारीरिक तनाव से मुक्ति मिलेगी।

वृश्चिक राशि : देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन विष्णु चालीसा का पाठ करना वृश्चिक राशि वालों को शुभ फल प्रदान करेगा। कहते हैं इससे उन्नति के रास्ते खुलते हैं।

धनु राशि :इस राशि के लोग प्रदोष काल में श्रीहरि को जगाने के बाद गरीबों में गर्म कपड़े का दान करें। ये उपाय आर्थिक संकटों को दूर करने के लिए बहुत लाभकारी है।

मकर राशि : इस राशि के जातक इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर केसर, केला या हल्दी का दान करें। मान्यता है कि ऐसा करने पर विवाह में आ रही अड़चने खत्म होती है।

कुंभ राशि : इस राशि के लोग व्रत रखकर शाम के समय तुलसी माता को लाल चुनरी अर्पित करें। ये उपाय सम्मान में बढ़ोत्तरी दिलाता है।

मीन राशि : इस राशि के जातक भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं, उन्हें तुलसी दल अर्पित करें। इससे रोग, दोष खत्म होंगे।

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