देवरिया: सात दशक का इंतजार खत्म होने वाला है। 70 साल बाद भारत में फिर चीतों की वापसी होगी। मध्यप्रदेश का कूनो नेशनल पार्क चीतों के स्वागत के लिए तैयार है। नामीबिया से आने वाले इन 8 चीतों की पहली झलक भी सामने आ गई है। इन चीतों को खास विमान से भारत लाया जा रहा है। ये विमान चीतों के साथ ग्वालियर में लैंड करेगा फिर इन्हें श्योपुर लाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन के खास मौके पर ये चीते मध्यप्रदेश की धरती पर देश को सौंपेंगे। साल 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त मान लिया गया था।

सीएम शिवराज ने दी देश को बधाई
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देशवासियों को बधाई देते हुए इसे मध्यप्रदेश के लिए गौरव का क्षण बताया है। उन्होंने ट्वीट किया कि टाइगर स्टेट बेसब्री से चीतों का इंतजार कर रहा है। सीएम शिवराज ने ट्वीट किया कि चीतों के आने से मध्यप्रदेश में बाघ, तेंदुआ और चीतों की त्रिमूर्ति पूरी हो जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में पहला अंतरमहाद्वीपीय स्थानान्तरण पूरा हो जाएगा।
टाइगर स्टेट में अब चीते भी
वर्ष 1948 के बाद भारत में चीते देखने को नहीं मिले थे, जिसके बाद 1952 में शासकीय तौर पर भारत से विलुप्त मान लिया गया था। 1947 में छत्तीसगढ़ में चीते देखे गए थे लेकिन कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने भारत के आखिरी तीन चीतों के शिकार किया था। इन तीन चीतों को ही आखिरी माना जाता है। इतने सालों बाद पूरे देश मे मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान को चीतों को रखने के लिए अनुकूल माना गया है, जो मध्यप्रदेश के लिए गर्व का विषय है।

चीतों के लिए उपयुक्त है कूनो नेशनल पार्क
कूनो नेशनल पार्क चंबल नदी के किनारे श्योपुर और मुरैना जिले की सीमा पर 748 वर्गकिमी में फैला हुआ है। चंबल की सहायक नदी कूनो के नाम पर इसे नाम दिया गया है। कुछ समय पहले ही में मध्यप्रदेश सरकार ने इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया है। राष्ट्रीय उद्यान बनाए जाने से पहले कूनो एक वन्यजीव अभयारण्य था। कूनो में भेड़िया, बंदर, भारतीय तेंदुआ और नीलगाय हैं। 28 जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने चीतों की भारत लाने की अनुमति दी थी, साथ ही राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को चीतों के लिए उपयुक्त जगह खोजने का आदेश दिया था। कई राष्ट्रीय उद्यानों पर विचार के बाद एक्सपर्ट्स ने कूनो नेशनल पार्क का चुनाव किया।
कूनों में चल रही जोर-शोर से तैयारी
चीतों को नेशनल पार्क में छोड़े जाने की तैयारी जोर शोर से की जा रही है। पार्क के टिकटौली गेट से 18 किलोमीटर अंदर 5 हेलीपैड बनाए गए हैं जिनमें से 3 प्रधानमंत्री और उनके सुरक्षाकर्मियों के लिए रिजर्व किए गए हैं। इसके पास ही 10 फीट ऊंचा प्लेफॉर्म बनाया जाएगा। मंच पर चंद VIP लोगों को ही रहने की अनुमति होगी। मंच के नीचे ही 6 फीट के पिंजरों में चीते होंगे। 17 सितंबर को प्रधानमंत्री के लीवर घूमाते ही चीते पिंजरों से स्वतंत्र हो जाएंगे।

श्योपुर में टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
नेशनल पार्क का दर्जा मिलने के बाद कूनो में टूरिस्ट्स की संख्या में इजाफा हुआ है। अब यहां चीतों के आने से नेशनल पार्क घूमने आने वाले टूरिस्ट्स से गुलजार रहने वाला है। पर्यटकों के आने से आस-पास के लोगों को रोजगार के भी नए अवसर मिलेंगे। नेशनल पार्क बनने और चीतों की शिफ्टिंग से श्योपुर के साथ पूरा मध्यप्रदेश खुशी और गर्व महसूस कर रहा है।
चीतों के बारे में कुछ जानकारी
· चीतों की रफ्तार सबसे तेज होती है। चीता 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है और ऊंची छलांग लगाता है।
· इसे शिकार मशीन भी कहा जाता है। चीता बहुत तेजी से अपना शिकार करता है।
· चीता कई मील दूर तक आसानी से देख सकता है।
· चीते का दिल शेर की अपेक्षा तीन गुना बड़ा होता है।
· चीते आमतौर पर दिन में शिकार करते हैं।
· ये बिग कैट परिवार का ऐसा सदस्य है, जो दहाड़ता नहीं है।
फोटो सौजन्य: आकाशवाणी ट्वीटर हैंडल