देवरिया: नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। माता के हर रूप के पूजा की अलग-अलग विधि है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को पूजा जाती है। आइये जानते मां के इस रूप की आराधना करने से कैसा आशीर्वाद मिलता है।
मां की पूजा का औषधीय महत्व
कहा जाता है नौ देवियों की पूजा का औषधीय प्रभाव भी पड़ता है। मां ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी भी कहा जाता है। ब्राह्मी एक औषधि है जो याददाश्त बढ़ाती है और आयुवर्धक भी मानी गयी है। इसके साथ ब्राह्मी खून से संबंधित बीमारियों के साथ-साथ आवाज को भी मधुर बनाती है। ऐसी मान्यता है कि इनमें से किसी भी प्रकार के रोग से पीड़ित व्यक्ति को मां ब्रह्मचारिणी की पूरी आस्था के साथ पूजा करने से राहत मिलती है।
मां ब्रह्मचारिणी का रूप
मां ब्रम्हचारिणी का रूप शांत होता है। मां अपने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं। मां को साक्षात ब्रह्म का स्वरूप माना गया है, अर्थात तपस्या का मूर्तिरूप माना गया है। मां ब्रह्मचारिणी को देवी भगवती दुर्गा, शिवस्वरूपा, गणेशजननी, नारायणी,विष्णुमाया और पूर्ण ब्रह्मस्वरूपणी के नाम से भी पूजा जाता है।
ब्रह्मचारिणी का अर्थ
ब्रह्म का अर्थ होता है तप करना या तपस्या करना और चारिणी मतलब आचरण करने वाली इस प्रकार से ब्रह्मचारिणी का मतलब होता है तप का आचरण करने वाली। मां ने भगवान शिव से ही विवाह की प्रतिज्ञा ली थी और इसके लिए कठिन तपस्या भी की थी। मां ब्रह्मचारिणी आपकी हर मनोकामना पूरी करे।



