देवरिया: साल 2018 में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव जैसे कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुए थे। तीनों राज्यों में कांग्रेस ने धमाकेदार वापसी की थी। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तो ऐसे प्रदेश थे, जहां कांग्रेस सत्ता का वनवास झेल रही थी। लेकिन उस वक्त राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चेहरा चुनना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती था। ये तय हुआ था कि छत्तीसगढ़ की कमान भूपेश बघेल और राजस्थान की बागडोर अशोक गहलोत संभालेंगे। यहां नंबर दो पर आने वाले चेहरों छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव और राजस्था में सचिन पायलट के असंतुष्ट होने की खबरों के बीच बड़ा सियासी घमासान कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ और भारत जोड़ो यात्रा के वक्त सामने आया है। इसकी धमक दिल्ली तक पहुंच चुकी है।
सीएम की कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते गहलोत !
खबरें हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष के लिए अशोक गहलोत का नाम पहले नंबर पर है। सोनिया और राहुल गांधी से हुई मुलाकातों के बाद ये कयास लगाए जा रहे हैं। मीटिंग के बीच गहलोत ने इशारों-इशारों में साफ किया कि वो सीएम पद नहीं छोड़ना चाहते हैं। उन्होंने कई बार कहा कि कांग्रेस में एक व्यक्ति-एक पद के उदाहरण पहले भी रहे हैं। इसी बीच सीएम पद के लिए उनके प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट के नाम की चर्चा तेज हो गई।
राजस्थान कांग्रेस में फिर गुटबाजी
इसी बीच राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर रविवार को विधायक दल की बैठक होनी थी लेकिन उससे पहले ही गहलोत समर्थकों ने बड़ा खेल कर दिया। ये विधायक रविवार रात विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के पास पहुंचे और इस्तीफे की पेशकश की। ये एक तरह से आलाकमान पर दवाब बनाने का प्रयास माना जा रहा है। इस तरह से विधायकों ने खुल कर सचिन पायलट का विरोध किया।
गहलोत से नहीं मिले माकन
रविवार को जो हुआ शायद आलाकमान ने उसकी कल्पना भी नहीं की होगी। स्थिति को संभालने और विधायकों से बात करने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को राजस्थान भेजा गया। हालांकि विधायकों ने दोनों से मिलने से इनकार कर दिया। अजय माकन गहलोत से नहीं मिले लेकिन खड़गे और गहलोत की मुलाकात जरूर हुई। इस मीटिंग में खड़गे ने गहलोत से पार्टी के अंदर अनुशासन बनाए रखने पर जोर दिया।
सियासी संकट के बीच कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को फौरन दिल्ली बुलाया है। माना जा रहा है कि वे दोनों गुटों के विधायकों से चर्चा करेंगे।



