देवरिया : जन्माष्टमी का पर्व हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग व्रत रखते हुए भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। देश में जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल रोहिणी नक्षत्र के बिना ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। कुछ लोग आज जन्माष्टमी मनाएंगे। जन्माष्टमी पर कई बार लोगों से जाने-अनजाने बड़ी गलतियां हो जाती है। ज्योतिषियों का कहना है कि जन्माष्टमी पर कुछ नियमों का विशेष ख्याल रखना चाहिए।
ज्योतिषविदों का कहना कि मंदिर में भूलकर भी श्री कृष्ण की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए। श्री कृष्ण की पीठ देखने से इंसान के पुण्य कम हो जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि श्री कृष्ण की पीठ पर अधर्म का वास होता है, जिसके दर्शन से अधर्म बढ़ता है। मायावी असुर कालयवन के पुण्य को समाप्त करने के लिए भी श्री कृष्ण को उसे पीठ दिखानी पड़ी थी।
न तोड़े तुलसी
भगवान विष्णु को तुलसी सबसे प्रिय मानी जाती है। इसी कारण श्री हरि के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण को भी तुलसी दल चढ़ाना शुभ माना जाता है। लेकिन जन्माष्टमी के दिन तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु के विग्रह रूप शालिग्राम और तुलसी का विवाह भी कराया जाता है।
चावल से परहेज– हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन चावल के सेवन से परहेज करना चाहिए। जन्माष्टमी की तरह एकादशी पर भी चावल या जौ से बनी चीजें न खाने की सलाह दी जाती है।
लहसुन प्याज से परहेज- जन्माष्टमी के दिन लहसुन, प्याज या तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन मांस, मदिरा पान से भी दूर ही रहें। आप जलाहार या फलाहार के साथ श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रख सकते हैं।
काले रंग की सामग्री से रहें दूर- जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण को काले रंग की कोई भी सामग्री अर्पित न करें। साथ ही काले कपड़े पहनकर भगवान की पूजा न करें। क्योंकि काला रंग शनि से संबंधित है। इसके साथ ही यह अशुभ माना जाता है। इसके अलावा काले रंग को शोक का प्रतीक माना जाता है।