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महादेव के इन दो धामों में नए कलेवर के साथ होगा शिवरात्रि का महाउत्सव, जानिए कैसे पहुंच सकते हैं दर्शन के लिए

देवरिया। अगर आप शिवरात्रि पर भगवान शंकर कि किसी मंदिर के दर्शन के बारे में विचार कर रहे हैं, तो उज्जैन और काशी जा सकते हैं। महादेव की ये दोनों नगरी अपनी धार्मिक और प्राचीन महत्ता को बरकरार रखते हुए एक नए और आधुनिक रूप में सज गईं हैं। काशी कॉरिडोर और उज्जैन महाकाल महालोक बनने के बाद यहां की सुंदरता में चार चांद लग हए हैं। हम आपको बाताते हैं आप यहां कैसे पहुंच सकते हैं और आपको यहां क्यों जाना चाहिए।

महाकाल की नगरी उज्जैन
उज्जैन को महाकाल की नगर कहा जाता है और बाबा महाकाल को यहां का राजा। देश के बारह ज्योतिर्लिंग में से इसे तीसरा ज्योतिर्लिंग माना जाता है। क्षिप्रा नदी के तट पर बाबा महाकाल का ये ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र दक्षिणमुखी है। यहां रोजाना होने वाली भस्म आरती पूरे विश्व में प्रसिद्द है। इसमें शामिल होने के लिए महीनों पहले बुकिंग करानी पड़ती है। उज्जैन ज्ञान, ध्यान और तप की स्थली मानी जाती है। यहां के क्षण-क्षण में इतिहास, कण-कण में आध्यात्म और कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा है। यहां कालचक्र के चौरासी कल्पों के प्रतीक चौरासी महादेव, चार महावीर, छह विनायक, आठ भैरव, अष्टमातृका, नौ ग्रह, दस विष्णु, ग्यारह रूद्र, बारह आदित्य, चौबीस देवियाँ एवं 88 तीर्थ हैं। इन सबके केन्द्र में कालाधिराज महाराज विराजमान हैं। पूरे ब्रह्माण्ड की ऊर्जा को ऋषियों ने प्रतीक रूप में समाहित किया। उज्जैन ने एक हजार वर्षों तक भारत की सभ्यता, संस्कृति, ज्ञान, गरिमा, साहित्य, कला का नेतृत्व किया। कालिदास एवं बाणभट्ट की रचनाओं में यहाँ की सभ्यता, संस्कृति, शिल्प और वैभव का वर्णन मिलता है।

महाकाल लोक से मिला भव्य और आधुनिक रूप
महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2022 में किया था, जिसे महाकाल महालोक नाम दिया गया है। यह काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भी बड़ा बताया जा रहा है। महाकाल लोग में शिव तांडव स्त्रोत, शिव विवाह, महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, प्रवचन हॉल, नूतन स्कूल परिसर, गणेश विद्यालय परिसर, रुद्रसागर तट विकास, अर्ध पथ क्षेत्र धर्मशाला और पार्किंग तैयार किया गया है। साथ ही भगवान शिव की 200 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसके चारों ओर रंगीन लाइट और फव्वारे लगाए गए हैं। यहां 108 स्तंभ तैयार किए गए हैं और भगवान शिव के स्वरूपों की अलग-अलग मूर्तियां तैयार की गई हैं। पत्थर की दीवार पर उकेरे गए श्वोक से महाकाल लोक का पूरा वातवरण आध्यात्मिक और धार्मिक लगता है।

कैसे पहुंचे उज्जैन महाकाल
महाकालेश्वर जाने के लिए आपको किसी प्रकार की असुविधा नहीं होगी क्योंकि आप उज्जैन बस, ट्रेन और फ्लाइट किसी से भी जा सकते हैं। उज्जैन की देश के सभी बड़े शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी है। अगर आप बाय एयर उज्जैन जाना चाहते हैं तो सबसे पास का एयरपोर्ट इंदौर का देवी अहिल्याबाई होलकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यहां से केवल 57 किमी की दूरी पर महाकाल का मंदिर स्थित है। ट्रेन से जाना चाहें तो उज्जैन में ही स्टेशन है और मंदिर की दूरी स्टेशन से मात्र डेढ़ किलोमीटर है। इसके अलावा बस से यात्रा करने वालों के लिए भी मध्यप्रदेश के सभी मुख्य बड़े शहरों से राज्य परिवहन और प्राइवेट बसें उपलब्ध हैं।

काशी विश्वनाथ का धाम बनारस
अति प्राचीन, धर्म नगरी काशी को वाराणसी शहर के नाम से भी जाना जाता है। यहां गंगा नदी के किनारे बाबा विश्वनाथ विराजमान हैं, जिसे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कैलाश के अलावा भगवान शिव ने यहीं अपना स्थाई निवास बनाया था। काशी विश्वनाथ को बारह ज्योतिर्लिंगों में सातवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है।

भव्य है काशी विश्वनाथ का कॉरिडोर
13 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ के भव्य कॉरिडोर का उद्घाटन किया। कॉरिडोर में 24 भवन बनाए गए हैं। इन भवनों में मुख्य मंदिर परिसर, मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, तीन यात्री सुविधा केंद्र, चार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपरपस हॉल, सिटी म्यूज़ियम, वाराणसी गैलरी, जलपान केंद्र गंगा व्यू कैफ़े बनाए गए हैं। पूरे कॉरिडोर को अलग-अलग तरह की 5,000 लाइटों से सजाया गया है। ये विशेष तरह की लाइटें दिन, दोपहर और रात में रंग बदलती रहती हैं। कॉरिडोर को 3 भागों में बांटा गया है जिसमें 4 भव्य गेट लगाए गए हैं। इसके चारों तरफ प्रदक्षिणा पथ बनाया गया है जिस पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं जिनमें काशी की महिमा का वर्णन है।

हाल ही में तैयार हुआ टेंट सिटी है विशेष आकर्षण
13 जनवरी को प्रधानमंत्री ने बनारस को टेंट सिटी के रूप में एक और सौगात दी है। गंगा पार रेत पर तैयार शानदार फाइव स्टार सुविधाओं वाले टेंट सिटी बनारस में पर्यटकों के द्वारा बेहद पसंद किया जा रहा है। यहां ठहरने वाले सैलानी सुबह से शाम तक बनारसी रहन-सहन, संगीत और खाने का अनुभव ले सकेंगे। साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन कराने के साथ गंगा आरती में शामिल होने का भी मौका मिलेगा। इसके साथ ही नदी पार आने-जाने के लिए बोट और नाव की भी सुविधा होगी। टेंट सिटी को डीलक्स, सुपर डीलक्स, प्रीमियम और गंगा दर्शन विला जैसे 4 कैटेगरी में बांटा गया है जिसके लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन बुकिंग कराई जा सकती है। अलग अलग कॉटेज में अलग-अलग लग्जरी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

वाराणसी तक कैसे पहुंच सकते हैं
वाराणसी देश के सभी शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। वाराणसी रेल मार्ग से भी जुड़ा हुआ है यहां चार रेलवे स्टेशन है।मंदिर की दूरी वाराणसी सिटी स्टेशन से 2 किलोमीटर, वाराणसी जंक्शन से 6 किलोमीटर, बनारस स्टेशन से चार किलोमीटर और मुगल सराय स्टेशन से 17 किलोमीटर है। सभी स्टेशनों से मंदिर तक के लिए ऑटो आसानी से उपलब्ध हो जाता है। हवाई मार्ग से पहुंचने के लिए बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर देश-विदेश के सभी शहरों से फ्लाइट्स हैं। एयरपोर्ट से काशी विश्वनाथ मंदिर की दूरी 20 से 25 किमी है। एयरपोर्ट से टैक्सी या कैब आपको मंदिर तक पहुंचा देते हैं।

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