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देव दीपावली पर काशी में दिखा भव्य नजारा, दीपों से जगमग हुए 84 घाट तस्वीरों में देखें

देवरिया : उत्तर प्रदेश के काशी में देव दीपावली का महापर्व भव्यता के साथ मनाया गया। इस दौरान काशी के गंगा घाटों को दस लाख दीपों से रोशन किया गया था। गंगा घाट को दुल्हन की तरह सजा दिया गया था। सभी 84 घाटों को झालर और दीपकों से प्रज्वलित कर दिया गया था। यहां जश्न का माहौल था और हर तरफ सिर्फ हर्ष और उल्लास दिखा।

पीएम मोदी ने भी इस खास मौके पर सभी को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “भारत की प्राचीन संस्कृति, अध्यात्म और परंपरा के प्रतीक पर्व कार्तिक पूर्णिमा एवं देव दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। पवित्र स्नान और दीपदान से जुड़ा यह अवसर हर किसी के जीवन में नई ऊर्जा का संचार करें।”

काशी के गंगा घाट का भव्य नजारा

बता दें कि दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। इसलिए इसे त्रिपुरोत्सव और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण के कारण देव दीपावली एक दिन पहले मनाई गई। इस दिन देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी कृपा बनी रहती है। इस दिन नदी में स्नान करने और दीपदान करने का भी बहुत महत्व है।

धरती पर उतरते हैं देवी देवता

मान्यताओं के अनुसार, देव दिवाली वाले दिन सारे देवी-देवता पृथ्वी पर उतरते हैं और काशी में दिवाली का त्योहार मनाते हैं। इसलिए इस त्योहार को देव दिवाली कहते हैं। आज के दिन काशी और गंगा के घाटों पर भी बहुत ही रौनक होती है। इन दिन दीपदान भी किया जाता है।

त्रिपुरासुर राक्षस का किया था वध

ज्योतिषाशास्त्र के अनुसार, त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने धरती के लोगों को बहुत ही परेशान किया था और उससे दुखी होकर सारे देवी-देवता भगवान शिव के पास गए। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन ही त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। उससे मुक्ति मिलने के बाद देवता भगवान शिव की नगरी में काशी जाकर पहुंचे और वहां पर जाकर दीप प्रज्जवलित करके खुशियां मनाई। इसी के बाद से हर साल कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन देव दिवाली मनाई जाती है।

शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाशास्त्र के अनुसार, पूर्णिमा तिथि आज यानी 7 नवंबर को शाम 4:15 से शुरु होगी और 8 नवंबर वाले दिन शाम 4:31 मिनट पर समाप्त होगी। 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण लगने वाला है इसलिए देव दिवाली एक दिन पहले मनाई गई।

दीपदान का महत्व

मान्यताओं के अनुसार, देव दिवाली यानी कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन देवी-देवता काशी में गंगा किनारे दिवाली मनाने के लिए आते हैं। इसलिए माना जाता है कि यदि कोई प्रदोष काल में दीपदान करे तो उसके जीवन में सुख-समृद्धि आती है और उसे सौभाग्य भी प्राप्त होता है। इस दिन भगवान शिव को भी नियमित दीपक जलाने से जीवन में खुशहाली आती है। इसके अलावा उनका आशीर्वाद भी मिलता है। इस दिन दीपदान करने से जीवन में यम, शनि और राहु-केतु का प्रभाव भी कम होता है।

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