देवरिया। आज शहरों के घर-घर में आपको वाटर प्यूरीफायर लगे मिल जाएंगे। साफ और शुद्ध पानी के लिए जहां आजकल वाटर फिल्टर लगे देखने को मिल रहे हैं वहीं बिहार में बने मटका फिल्टर को देख कर आप भी खुश हो जाएंगे। ये मटका फिल्टर लोगों को बहुत पसंद आ रहा है। इसे पारंपरिक तरीके से बनाया गया है। इससे पानी की अशुद्धियां फिल्टर हो जाती हैं। मटका फिल्टर का पानी स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना जा रहा है।
आयरन की ज्यादा मात्रा को भी करता है बैलेंस
मधुबनी के कुछ गांव जैसे फुलपरास, घोघरडिहा, खुटौना, अंधराठाढी में पानी में आयरन की मात्रा बहुत ज्यादा पाई गई थी। ज्यादा आयरन होने से पानी में पीलापन नजर आता था। इस पानी को पीने से गांव वाले पेट से संबंधित कई प्रकार की बीमारियों से पीड़ित हो रहे थे। तब पानी की जांच करने आए रमेश कुमार सिंह को फिल्टर की जरूरत महसूस हुई लेकिन वो यह भी जानते थे कि ग्रामीण महंगे फिल्टर नहीं लगा सकते। तब उन्होनें पुरानी पद्धति से मटका फिल्टर बनाने की सोची। 2010 में उन्होंने कुम्हारों से मटका फिल्टर बनवाया और ग्रामीणों में निशुल्क बांटा।

ये है मटका फिल्टर का मैकेनिज्म
मटका फिल्टर में एक के ऊपर एक तीन मटके लगे होते हैं। सबसे ऊपर के मटके में पानी भरा जाता है और सबसे नीच के मटके में नल की टोटी लगी होती है, जहां से पानी निकाला जा सकता है। बीच वाले मटके में नायलोन की जाली लगाई जाती है उसके ऊपर पानी से अच्छी तरह धुली हुई बालू की 2 इंच की परत बिछाई जाती है फिर उसके ऊपर जाली बिछाकर साफ की हुई ईंट की गिट्टी बिछाई जाती है। गिट्टी की परत के पर फिर जाली बिछाई जाती है और 2 इंच लकड़ी के कोयले की परत बिछाई जाती है और इस पर भी एक जाली बिछा दी जाती है। इस फिल्टर से आयरन समेत पानी की सभी प्रकार की अशुद्धियां दूर होती हैं साथ ही पानी ठंडा भी रहता है, जिससे फ्रिज का भी उपयोग नहीं करना पड़ता।
कुम्हारों को मिला रोजगार का नया साधन
मधुबनी के आसपास के इलाकों में मटका फिल्टर की बहुत मांग है। जिसके चलते कुम्हार जिनके लिए पारंपरिक रोजगार का साधन कुछ खास कमाई नहीं दे रहा था, अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। कुम्हार तीन प्रकार के फिल्टर बनाते हैं 10 लीटर, 20 लीटर और 30 लीटर। इनकी कीमत 200, 300 और 400 है। सबसे ज्यादा 10 लीटर वाले फिल्टर की डिमांड है। पिछले साल 6 महीनों में 5 लाख का कारोबार हुआ था। यह आंकड़ा इस साल 10 लाख पहुंचने की संभावना है।