जिस गांव में लोग राजनीति को गंदा मानते थे, उस गांव की द्रौपदी मुर्मू समाज के लिए नजीर बन गईं हैं। उन्होंने तब राजनीति शुरू की, जब इसे महिलाओं के लिए तो छोड़िए पुरुषों के लिए भी लोग गंदा मानते थे। राजनीति में जाना अच्छा नहीं माना जाता था, तब शिक्षिका मुर्मू ने चुनाव लड़ा और जीतकर पार्षद बनीं। इलाके में खूब काम किया, फिर वे विधायक चुनी गईं और उसी बार मंत्री बन गईं।
देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल
मुर्मू ने देश की राजनीति में एक के बाद एक रिकॉर्ड बनाए। पहले वे देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल बनीं। फिर देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति। उनके नाम एक और रिकॉर्ड भी दर्ज हो रहा है और वह है उनका सबसे कम उम्र में राष्ट्रपति बनना। मुर्मू इस वक्त 64 साल 46 दिन की हैं।
अंग्रेजी बोलने वाली अनपढ़ नानी चाहती थीं पढ़ें द्रौपदी
ओडिशा का वह दूरदराज का इलाका जहां ज्यादातर लोग अनपढ़ थे और पढ़ाई की कोई सुविधा नहीं थी। उस इलाके में रहने वाली द्रौपदी मुर्मू की अनपढ़ नानी जो थोड़ी-बहुत अंग्रेजी भी बोलना जानती थीं, वे चाहती थीं कि द्रौपदी खूब पढ़ें। इसके लिए उन्होंने कोशिश भी कि और वे अपने गांव से राजधानी भुवनेश्वर जाकर पढ़ने वाली पहली लड़की थीं।
