देवरिया: 70 सालों का इंतजार खत्म हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों को छोड़ा। इस दौरान मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उनके साथ मौजूद रहे। अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री मोदी ने देश के ये तोहफा सौंपा है। पीएम ने इस ऐतिहासिक मौके पर देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि चीतों के लौटने के साथ ही भारत की प्रकृति प्रेमी चेतना पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है। उन्होंने नामीबिया और वहां की सरकार का धन्यवाद दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे मध्यप्रदेश के लिए अभूतपूर्व, ऐतिहासिक और अप्रतिम क्षण बताते हुए देश और प्रदेश के लोगों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि आज मध्यप्रदेश के लिए उत्सव का दिन है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जताई खुशी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चीतों के लौटने के साथ ही भारत की प्रकृति प्रेमी चेतना पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है। मुझे विश्वास है ये चीते हमारे मानवीय मूल्यों और परंपराओं से अवगत कराएंगे। पीएम ने कहा कि दुर्भाग्य है कि चीतों के पुर्नवास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ लेकिन आजादी के अमृत काल में देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुर्नवास के लिए जुट गया है। पीएम मोदी ने कहा कि वैज्ञानिक सर्वे के बाद कूनो नेशनल पार्क को शुभ शुरुआत के लिए चुना गया, पूरे देश में चीतों के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र कूनो नेशनल पार्क पाया गया था।

चीतों को देखने के लिए करना होगा थोड़ा इंतजार
प्रधानमंत्री ने कहा कि कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कुनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा। पीएम ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया को बताया कि इकोनॉमी और इकोलॉजी विरोधाभाषी क्षेत्र नहीं हैं। भारत ने विश्व के लिए LIFE, Lifestyle for the environment जैसा जीवन मंत्र दिया है। पर्यावरण की रक्षा के साथ ही, देश की प्रगति भी हो सकती है, ये भारत ने दुनिया को करके दिखाया है।

टाइगर स्टेट में पहुंचे चीते
वर्ष 1948 के बाद भारत में चीते देखने को नहीं मिले थे, जिसके बाद 1952 में शासकीय तौर पर भारत से विलुप्त मान लिया गया था। 1947 में छत्तीसगढ़ में चीते देखे गए थे लेकिन कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने भारत के आखिरी तीन चीतों के शिकार किया था। इन तीन चीतों को ही आखिरी माना जाता है। इतने सालों बाद पूरे देश मे मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान को चीतों को रखने के लिए अनुकूल माना गया है, जो मध्यप्रदेश के लिए गर्व का विषय है।

चीतों के लिए उपयुक्त है कूनो नेशनल पार्क
कूनो नेशनल पार्क चंबल नदी के किनारे श्योपुर और मुरैना जिले की सीमा पर 748 वर्गकिमी में फैला हुआ है। चंबल की सहायक नदी कूनो के नाम पर इसे नाम दिया गया है। कुछ समय पहले ही में मध्यप्रदेश सरकार ने इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया है। राष्ट्रीय उद्यान बनाए जाने से पहले कूनो एक वन्यजीव अभयारण्य था। कूनो में भेड़िया, बंदर, भारतीय तेंदुआ और नीलगाय हैं। 28 जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने चीतों की भारत लाने की अनुमति दी थी, साथ ही राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को चीतों के लिए उपयुक्त जगह खोजने का आदेश दिया था। कई राष्ट्रीय उद्यानों पर विचार के बाद एक्सपर्ट्स ने कूनो नेशनल पार्क का चुनाव किया।

श्योपुर में टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
कूनो को नेशनल पार्क का दर्जा मिलने के बाद पहले ही कूनो में टूरिस्ट्स की संख्या में इजाफा हुआ है। अब यहां चीतों के आने से नेशनल पार्क घूमने आने वाले टूरिस्ट्स से गुलजार रहने वाला है। पर्यटकों के आने से आस-पास के लोगों को रोजगार के भी नए अवसर मिलेंगे। नेशनल पार्क बनने और चीतों की शिफ्टिंग से श्योपुर के साथ पूरा मध्यप्रदेश खुशी और गर्व महसूस कर रहा है।

चीतों के बारे में कुछ जानकारी
· चीतों की रफ्तार सबसे तेज होती है। चीता 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है और ऊंची छलांग लगाता है।· इसे शिकार मशीन भी कहा जाता है। चीता बहुत तेजी से अपना शिकार करता है।
· चीता कई मील दूर तक आसानी से देख सकता है।
· चीते का दिल शेर की अपेक्षा तीन गुना बड़ा होता है।
· चीते आमतौर पर दिन में शिकार करते हैं।
· ये बिग कैट परिवार का ऐसा सदस्य है, जो दहाड़ता नहीं है।