देवरिया। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य जारी है। भगवान राम की मूर्ति का स्वरूप कैसा हो, इसका निर्माण कौन करे, इसके लिए लगातार बैठकों का दौर चल रहा था। निर्णय लिया गया है कि रामलाल की मूर्ति मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज बनाएंगे। मूर्ति का निर्माण श्याम शिला से किया जाएगा।
कौन हैं मूर्तिकार अरुण योगीराज
मूर्तिकार अरुण योगीराज मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से संबंध रखते हैं। 37 साल के अरुण अपने खानदान के पाचंवी पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए करने के बाद कुछ समय तक एक निजी कंपनी में जॉब भी की। बाद में उन्होंने अपने शौक और खानदानी कलाकारी को ही आगे बढ़ाने का फैसला लिया। इनकी मूर्तिकला की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं।
मूर्ति के लिए चुनी गई ‘श्याम शिला’
रामलला की मूर्ति के लिए कर्नाटक से लाई गई श्याम शिला का चुनाव किया गया है। इस शिला का चुनाव विचार विमर्श करने के बाद किया गया। इसके लिए संतों, भू-वैज्ञानिकों, मूर्तिकारों, हिंदू धर्म शास्त्रों के विशेषज्ञ, इंजीनियर्स और मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर विशेष सलाह ली गई। सभी पैमानों पर सही बैठने के बाद ही बहुत सारी शिलाओं में से कर्नाटक की श्याम शिला का चुनाव किया गया।
कैसा होगा रामलला की प्रतिमा का स्वरूप
राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति की ऊंचाई 5 फीट की होगी और उनका स्वरूप और चेहरे के भाव 5 साल के बच्चे के जैसा होगा। खड़ी अवस्था में रामलला के बाएं कंधे पर छोटा सा धनुष होगा। इस मूर्ति के पास ही वर्तमान में पूजित रामलला और उनके भाइयों को भी स्थापित किया जाएगा।
शालिग्राम से क्यों नहीं बनाई जा रही मूर्ति
फरवरी माह में नेपाल की गंडकी नदी से 2 विशाल शालिग्राम चट्टानें लाई गईं थी। तब तय किया गया था कि इन्हीं चट्टानों से राम लला की मूर्ति बनाई जाएगी। लेकिन बाद में कुछ संतों ने इसका विरोध किया। दरअसल शालिग्राम शिला को विष्णु का रूप माना जाता है और वह अपने आप में पूजनीय माने गए हैं। उसे किसी और रूप में ढालने के लिए उस पर औजार से प्रहार करना होगा, जो कि संभव नहीं है। इस वजह से राजस्थान, ओडिशा और कर्नाटक से पत्थर मंगाए गए थे जिनमें से कर्नाटक की कृष्ण शिलाओं का चुनाव किया गया।