देवरिया: मां लक्ष्मी की पूजा का त्योहार दीपावली 5 दिनों तक मनाया जाता है और इसकी शुरुआत होती है पहले दिन यानी धनतेरस की पूजा से। धनतेरस के दिन नए बर्तन, गहने और कुछ जगहों पर झाड़ू खरीदने की परंपरा है। इन सभी चीजों को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है इसलिए इस दिन गहने और बर्तन खरीदे जाते हैं। आइए जानते हैं धनतेरस के दिन क्यों धातु के बर्तन और सोने-चांदी खरीदने का इतना महत्व है, इसके साथ ही धनतेरस से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं को भी जानेंगे।
क्यों मनाया जाता है धनतरेस
धनतेरस के दिन ही भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन से पीतल का अमृत कलश लेकर निकले थे। क्योंकि त्रयोदशी तिथि को धनवंतरी भगवान का आगमन हुआ था इसलिए इस दिन धनतेरस की पूजा की जाती है। और उनके हाथ अमृत कलश होने के कारण बर्तन की खरीदी की जाती है। भगवान धनवंतरी को रोग दूर करने वाले देवता माना जाता है। धनतेरस के दिन इनकी पूजा करन से घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती और परिवार के सदस्यों से रोग दूर रहता है। पूजा से प्रसन्न होकर भगवान धनवंतरी आरोग्य का आशीर्वाद देते हैं।

भगवान धनवंतरी के बाद ही आती हैं मां लक्ष्मी
समुद्र मंधन में त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी का आगमन हुआ था और उसके बाद ही मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए लक्ष्मी पूजा से पहले धनतरेस को भगवान धनवंतरी आते हैं उनकी पूजा-अर्चना की जाती है उसके एक दिन बाद मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

बर्तन, सोने-चांदी क्यो खरीदा जाता है
धनतेरस के दिन हम अक्सर सोने-चांदी या किसी बर्तन की खरीदी करते हैं। इन सभी को मां लक्ष्मी का ही प्रतीक माना जाता है इसलिए इस दिन मां की कृपा पाने के लिए उनके प्रतीक की खरीदी कर उनकी पूजा की जाती है। इसके साथ ही यह भी मान्यता है की धनतेरस के दिन जिस धातु की खरीदी की जाती है जीवन में उसकी 13 गुना बढ़ोतरी होती है। सोना खरीदने से ऐश्वर्य बढ़ता है, चांदी से घर में शांति आती है और झाड़ू खरीदने से घर का क्लेश खत्म होता है।

इन चीजों को खरीदने से बचें
धनतरेस के दिन हमें सोना, चांदी, पीतल, तांबा या कांसा जैसे धातुओं की ही खरीदी करने चाहिए। धनतरेस के दिन स्टील, लोहा या प्लास्टिक का सामान नहीं खरीदना चाहिए। एल्यूमिनियम का सामान दुर्भाग्य का प्रतीक माना गया है। लोहा शनि देव का प्रतीक है इसलिए इन्हें खरीदने से बचना चाहिए। केवल वहीं चीज लें जो मां लक्ष्मी का प्रतीक हो।