देवरिया। उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 5 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा ने 4 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की है। एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुआ। गोरखपुर-फैजाबाद खंड स्नातक, कानपुर खंड स्नातक, बरेली-मुरादाबाद खंड स्नातक, इलाहाबाद झांसी खंड शिक्षक और कानपुर खंड शिक्षक सीट पर 30 जनवरी को वोट डाले गए थे। जिसके परिणाम शुक्रवार को आए। इस चुनाव में भाजपा की टक्कर समाजवादी पार्टी से थी। सपा अपना खाता भी नहीं खोल सकी है।
बरेली-मुरादाबाद खंड स्नातक सीट से जयपाल सिंह जीते
विधान परिषद बरेली-मुरादाबाद खंड स्नातक सीट पर भाजपा के जयपाल सिंह ने बड़े अंतर से जीत हासिल की। जयपाल सिंह ने सपा के शिव प्रताप सिंह को 51 हजार 257 हाजर वोटों से शिकस्त दी। इस सीट पर 1986 से बाजपा के अलावा किसी और पार्टी को जीत नहीं मिली है।
तीसरी बार जीते अरुण पाठक
कानपुर में स्नातक एमएलसी चुनाव में बीजेपी से अरुण पाठक ने सपा के कमलेश यादव को 62 हजार 501 वोटों से हराया। इस सीट पर अरुण पाठक की ये लगातार तीसरी जीत है। उन्होने गिनती शुरू होने के बाद पहले राउंड से ही बढ़त बनाई हुई थी।
देवेंद्र प्रताप ने चौथी बार दर्ज की जीत
एमएलसी चुनाव में गोरखपुर में स्नातक सीट पर भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र प्रताप ने लगातार चौथी पर जीत दर्ज करके रिकॉर्ड कायम कर दिया है। उन्होने सपा के करुणाकांत को 34 हजार 244 वोटों से शिकस्त दी।
इलाहाबाद-झांसी सीट पर बाबूलाल तिवारी विजयी
इलाहाबाद-झांसी खंड शिक्षक सीट से बीजेपी के बाबूलाल तिवारी ने 1403 वोटों से जीत हासिल की। बाबूलाल तिवारी ने दूसरी पार्टी के सुरेश कुमार त्रिपाठी को शिकस्त दी।
इलाहाबाद-झांसी सीट पर बाबूलाल तिवारी विजयी
इलाहाबाद-झांसी खंड शिक्षक सीट से बीजेपी के बाबूलाल तिवारी ने 1403 वोटों से जीत हासिल की। बाबूलाल तिवारी ने दूसरी पार्टी के सुरेश कुमार त्रिपाठी को शिकस्त दी।
सीएम योगी ने दी बधाई
चुनाव के परिणाम आने क बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी को बधाई देते हुए कहा- “उत्तर प्रदेश विधान परिषद के चुनाव में विजयी सभी प्रत्याशियों को हार्दिक बधाई। राज्य विधान मण्डल के उच्च सदन के लिए हुए चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को मिली यह जीत आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार के प्रति अथाह जन विश्वास का प्रतीक है।”
सपा ने लगाए आरोप
सपा में चुनाव में बेईमानी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा “इससे पहले जिला पंचायत सदस्यों की कीमत लगती रही। ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में पर्चे नहीं भरते दिए, लखीमपुर में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ था। उसके बाद एमएलसी चुनाव में जिलाधिकारी और कप्तान मिलकर चुनाव लड़ रहे थे, पूरा प्रशासन लगा था। ऐस में क्या उम्मीद करें कि उत्तर प्रदेश में इस तरह के चुनाव पारदर्शी हो पाएंगे। भाजपा सरकार का काम करने का तरीका यही है। कोई अपने मन से भी मतदान नहीं कर पाएगा।”