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महाकाल कॉरीडोर की खूबसूरती देखते रह जाएंगे, 11 अक्टूबर को पीएम करेंगे लोकार्पण, देखिए तस्वीरें

देवरिया: मोक्ष की नगरी उज्जैन में भव्य महाकाल कॉरीडोर बनकर तैयार हो गया है। महाकाल मंदिर परिसर की सुंदरता और भव्यता दोनों देखते बन रही है। कॉरीडोर का वीडियो और कुछ फोटोज आउट हुई हैं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं। दिन और रात में मंदिर परिसर की छटा बेहद खूबसूरत नजर आ रही है। महाकाल दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अब दर्शन के बाद यह कॉरिडोर भी मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेगा। उज्जैन में अब दर्शनार्थियों और पर्यटकों की संख्या में इजाफा होना तय है। इस कॉरिडोर से टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।

मुख्यमंत्री शिवराज ने दिए तैयारियों को लेकर निर्देश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्जैन में 11 अक्टूबर को शिव सृष्टि का शिवार्पण करेंगे। महाकाल मंदिर परिसर का लोकार्पण प्रधानमंत्री मोदी के हाथों से होगा। उन्होंने कहा कि यह इस सदी की महत्वपूर्ण घटना होगी। उन्होंने अधिकारियों को इस कार्यक्रम की तैयारियां बेहतर ढंग से करने के निर्देश दिए। सीएम शिवराज ने कहा कि इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित कलाकारों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। उज्जैन जगमग हो। मध्यप्रदेश के हर मंदिर पर रोशनी हो। पूरा प्रदेश कार्यक्रम को देख सके इसकी समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।

11 अक्टूबर को पीएम करेंगे उद्घाटन
मध्यप्रदेश सरकार उद्घाटन समारोह और पीएम के आने की तैयारियां जोर-शोर से कर रही है। पीएम के कार्यक्रम की तारीख तय होते ही परिसर में सुरक्षा कारणों से कॉरिडोर में आम लोगों की बिना किसी कारण के आवा-जाही को रोक दिया गया है और पुलिस कर्मियों को भी तैनात कर दिया गया है।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भी बड़ा और भव्य
महाकाल में तैयार हुआ कॉरिडोर 900 मीटर एरिया में तैयार किया या है, जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भी 4 गुना बड़ा बताया जा रहा है। कॉरिडोर में शिव तांडव स्त्रोत, शिव विवाह, महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, प्रवचन हॉल, नूतन स्कूल परिसर, गणेश विद्यालय परिसर, रुद्रसागर तट विकास, अर्ध पथ क्षेत्र धर्मशाला और पार्किंग भी तैयार किया जा रहा है।

कॉरिडोर में ये होंगे मुख्य आकर्षण
कॉलीदास ने अपनी रचना मेघदूतम में जिस प्रकार से महाकाल वन का उल्लेख किया है, उसे ध्यान में रख कर ही देशभर के कुशल कारिगरों ने कॉरिडोर को प्राचीन स्वरूप दिया है। कलाकारों के द्वारा भगवान शिव की 200 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसके चारों ओर रंगीन लाइट्स और फव्वारे लगाए गए हैं। यहां 108 स्तंभ तैयार किए गए हैं और भगवान शिव के स्वरूपों की अलग-अलग मूर्तियां तैयार की गई हैं। पत्थर की दीवार पर उकेरे गए श्वोक कॉरिडोर को और भी आध्यात्मिक स्वरूप देंगे।


विशेष रूप से तैयार किया गया है मुख्य द्वार
कॉरिडोर के मुख्य द्वार को विशेष रूप से तैयार किया गया है जिसमें भगवान गणेश और रिद्धि-सिद्धि के साथ नंदी महाराज को भी विराजित कराया गया है। इसके साथ ही भगवान महाकाल का श्वोक “आकाशे तारक लिंगम पाताले हाटकेश्वर मृत्यु लोके महाकाल त्रयलिंगम नमोस्तुते” को पत्थर पर उकेरा गया है। मुख्य द्वार काफी बड़ा बनाया गया है, जिससे श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा होने पर ही प्रवेश करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए परिसर में ही ई-रिक्शा की व्यवस्था भी की जाएगी, जिससे हर कोई पूरा कॉरिडोर आराम से घूम सके और उसकी सुंदरता और भव्यता का आनंद ले सके।


दुकान और स्टॉल के लिए भी जगह तय
कॉरिडोर के बनने से छोटे दुकानदारों को भी रोजगार के नए अवसर मिलेंगे, जिसके लिए परिसर में ही छोटी दुकानें तैयार की गई हैं। यहां फूल और प्रसाद की दुकानें सजेंगी। इसके साथ ही और भी दूसरे सामानों की खरीदी-बिक्री के लिए छोटा सा मार्केट भी तैयार किया गया है। कॉरिडोर की देखरेख के लिए भी कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी जिससे स्थानियों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

सामने आया महाकाल कॉरिडोर की भव्यता का वीडियो
हालांकी अभी कॉरिडोर का कुछ काम बाकी है लेकिन सोशल मीडिया पर इसकी सुंदरता वीडियो वायरल हो रहा है। जिसने लोगों की उत्सुकता को और बढ़ा दिया है। वीडियो देखने के बाद महाकाल का हर भक्त उनके दर्शन के लिए आतुर हो रहा है।

उज्जैन का धार्मिक, आध्यात्मिक और राजनीतिक महत्व
महाकाल की नगरी, महर्षि सांदीपनि के तपोस्थल, कालीदास की रचनास्थली उज्जैन में स्थित मोक्ष के देवता महाकाल का हज़ारों का साल पुराना ये मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। क्षिप्रा नदी के तट पर बसा ये नगर सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी थी। यहां के दु:ख, दरिद्र दूर करने के लिए महर्षि सांदीपनि ने भगवान शिव की वर्षों तपस्या की थी। महाकवि कालिदास ने मेघदूत में इस नगर की तुलना स्वर्ग के टुकड़े से की है। उज्जैन को प्राचीन काल में अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा आदि नामों से पुकारा जाता था। महाकालेश्वर मंदिर महादेव के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। तुलसीदास से लेकर संस्कृत साहित्य के अनेक प्रसिध्द कवियों ने महाकालेश्वर मंदिर का वर्णन किया है। उज्जैन भारत की कालगणना का केंद्र बिन्दु था और महाकाल उज्जैन के अधिपति आदि देव माने जाते हैं। महाकालेश्वर में शिवलिंग दक्षिणमुखी है। यहां की भव्यता हर 12 साल पर लगने वाले सिंहस्थ महाकुंभ में देखते बनती है।


महाकाल मंदिर के पास स्थित हैें कई मंदिर
मंदिरों की नगरी उज्जैन में कई तीर्थ स्थल हैं, जिनके दर्शन आप जरूर करें। आप चिंतामन गणेश, स्थिरमन गणेश, गढ़कालिका माताजी, हरसिद्धि माताजी, कालभैरव, मंगलनाथ मंदिर, श्रीराम जानकी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामना लिए चले आते हैं और खाली हाथ नहीं लौटते।


कैसे आएं और क्या खाएं
उज्जैन आने के लिए वायु, रेल और सड़क मार्ग पर साधन उपलब्ध हैं। इंदौर का देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा यहां से 53 किलोमीटर दूर है। यहां से दिल्ली, मुंबई, पुणे, जयपुर, हैदराबाद और भोपाल की नियमित उड़ानें हैं। उज्जैन पश्चिम रेलवे जोन का एक रेलवे स्टेशन है। यहां का UJN कोड है । यहां से कई बड़े शहरों के लिए ट्रेन उपलब्ध हैं। आप सर्च करके आराम से यहां पहुंच सकते हैं। यहां के लिए कई जिलों से बस सुविधा उपलब्ध है। आप अपने साधन से यहां पहुंच सकते हैं। मालवा का खान-पान बहुत प्रसिद्ध है। आपको यहां स्वादिष्ट खाना हर जगह मिल जाएगा। बाबा महाकाल का प्रिय पेय भांग यहां का स्वादिष्ट पेय है, मालवा के प्रसिद्ध दाल-बाटी व दाल-बाफले यहां के स्वादिष्ट भोज हैं। महाकाल व देवासगट बस स्टैंड पर अनेक भोजनालय हैं, जहां आप स्वादिष्ट खाना खा सकते

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