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लड़का से लड़की बनीं विद्या राजपूत कौन हैं, जिनका संघर्ष ट्रांसजेंडर्स की कहानी बदल रहा है

देविरया। ट्रांसजेंडर विद्या राजपूत छत्तीसगढ़ का जाना-पहचाना नाम हैं। उन्होंने ट्रांसजेडर्स के हितों के लिए बहुत काम किया है। विद्या ने इस दिशा में काम किया कि लोग ट्रांसजेंडर समुदाय को देखने का नजरिया बदलें। विद्या राजपूत को उनके कार्यों के लिए कमला भसीन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। दिल्ली में आयोजित एक समारोह में यह पुरस्कार उन्हें लैंगिक समानता के लिए उत्कृष्ट कार्य करने के लिए दिया गया है। कमला भसीन जिनके नाम पर पुरस्कार का नाम दिया गया है एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उन्होंने दक्षिण एशिया में महिला अधिकारों के लिए काफी सराहनीय काम किया था। 2021 में उनका निधन हो गया था।


यह पुरस्कार एक प्रोत्साहन- विद्या
पुरस्कार मिलने के बाद विद्या राजपूत ने कहा –“यह पुरस्कार मेरे लिए अपने काम के लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन है,यह न सिर्फ मुझे बल्कि मेरे जैसे लोगों को हिम्मत देता है”। विद्या राजपूत के साथ-साथ यह पुरस्कार नताशा राय को भी दिया गया। नताशा शक्ति मिलन समाज नेपाल की संस्थापक हैं।

ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लड़ी लंबी लड़ाई
छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके की रहने वाली विद्या राजपूत तृतीय लिंग कल्याण बोर्ड की सदस्य हैं। ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों के लिए लड़ने वाली विद्या राजपूत ने अपने समुदाय के लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए काफी संघर्ष किया है। 2009 में उन्होंने ट्रांसजेंडर्स को साथ लेना शुरू किया और उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ जागरूक भी किया। इसके लिए उन्होंने मितवा समिति का गठन किया, जिसकी वो सह-संस्थापक हैं।


बचपन से सुने लोगों के ताने लेकिन नहीं मानी हार
विद्या राजूत का जन्म एक लड़के के रूप में हुआ था लेकिन मन से वो एक लड़की थीं। बचपन से ही उन्हें सजना संवरना पसंद था, जिसके लिए उन्हें घर से लेकर समाज के लोगों तक से ताने सुनने को मिलते थे। घर में पिता की मौत और भाइयों की शराब की लत के चलते मां की एक ही उम्मीद थीं विद्या। विद्या अपनी मां के साथ रायपुर आ गईं। यहां पर उन्होंने होटल मैनेजर के साथ कई काम किए। रोजगार मिलने में भी उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता था। 30 साल लड़के की तरह रहने के बाद उन्होंने सेक्स चेंज ऑपरेशन कराने की ठानी और फिर विकास से विद्या बनकर अपने ही जैसे और भी लोगों की जिंदगी बदलने के लिए काम करना शुरू किया।


और भी कई सम्मान से हो चुकी हैं सम्मानित
मितवा नामक संस्था चलाने के साथ-साथ विद्या एक ब्यूटिशियन भी हैं। उन्हें कई संस्थानों में ट्रेनिंग देने के लिए भी बुलाया जाता है। विद्या NACO के साथ मिलकर भी काम करती हैं। संघर्षों के साथ अब विद्या ने समाज में अपनी अलग पहचान बना ली है, इससे पहले भी कई प्रकार के सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। विद्या नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस, भारत सरकार के ड्रग एब्यूज प्रिवेंशन प्रोग्राम में मास्टर ट्रेनर हैं। उन्हे 2021 में राज्य सरकार द्वारा पंडित रविशंकर शुक्ल सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

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