देवरिया। हमें देश में आए दिन कन्या भ्रूण हत्या या लड़की होने पर नवजात को लावारिस छोड़ने की खबरें सुनने को मिलती रहती हैं। लेकिन इस बीच कुछ ऐसी खबरें भी आती हैं, जो समाज में बदलाव का संदेश देती हैं। अब लोग बदलने लगे हैं। अब बेटियों के जन्म का इंतजार किया जाता है। मंगलगीत गाए जाते हैं। ऐसा ही एक परिवार है छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में, जिनके परिवार में पिछले 47 साल बाद जब बिटिया ने जन्म लिया तो उन्होंने न सिर्फ जश्न मनाया बल्कि पूरे समाज को सीख देने वाला फैसला लिया।
बैंड-बाजे के साथ घर लाए बिटिया
बिलासपुर के चकरभाठा कैंप में रहने वाले चंद्रप्रकाश तिवारी के परिवार में पिछले 47 साल तक किसी को भी बिटिया नहीं हुई थी। जब चंद्रप्रकाश की बहू दिव्या गर्भवती हुईं तो परिजन ने पहले ही सोच लिया था कि बिटिया होने पर उस मौके को बड़े त्योहार के जैसा मनाया जाएगा और उन्होंने वैसा ही किया। बिटिया को नर्सिंग होम से घर तक बैंड बाजे के साथ लाया गया और बच्ची का भव्य तरीके से घर में प्रवेश कराया गया।
गरीब बच्चियों को पढ़ाएंगे, ताकी लोगों को मिले सीख
तिवारी परिवार अपने लिए तो जश्न मनाना ही चाहते था साथ ही इस मौके को और खास बनाने के लिए कुछ ऐसा भी करना चाहता था जिससे लोग बेटियों को बोझ ना समझें और उनकी कीमत समझें। इसलिए उन्होंने संकल्प लिया कि 51 गरीब बच्चियों की पढ़ाई और ट्यूशन का खर्च तिवारी वे उठाएंगे और उच्च शिक्षा में मदद भी करेंगे।


