देवरिया। जिगर मुरादाबादी लिखते हैं- जो तूफानों में पलते जा रहे हैं, वो दुनिया बदलते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में उत्तीर्ण कुछ अभ्यर्थियों ने इन पंक्तियों को सच कर दिखाया है। हाल ही में UPPSC का रिजल्ट जारी हुआ है। परीक्षा में एक तरफ जहां लड़कियों ने परचम लहराया है, तो दूसरी तरफ ‘गुदड़ी के लाल’ अपनी जिंदगी बदलने के सफर पर निकल पड़े हैं। कठिन परिस्थितियों के अपने माता-पिता का सपना पूरा करने वाले इन अभ्यर्थियों की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। आइए मेहनत की ऐसी ही कुछ कहानियों से मिलते हैं।

दहेज ना देकर पढ़ाई में लगाए पैसे
रायबरेली की रहने वाली कीर्तिका सिंह डिप्टी एसपी के पद के लिए चयनित हुई हैं। पढ़ाई पूरी होने के बाद कीर्तिका के माता-पिता ने उनकी शादी की करनी चाही। घर में शादी और दहेज के लिए पैसे जमा किए जा चुके थे इसलिए पहला रिश्ता टूटने के बाद माता-पिता दूसरा रिश्ता ढूंढने लगे। लेकिन कीर्तिका ने UPPSC की परीक्षा पास करने की ठानी और पैरेंट्स से कहा उनकी शादी के लिए जुटाए गए पैसे पढ़ाई में खर्च किए जाएं। माता-पिता ने भी बेटी के फैसले में साथ दिया। आज कीर्तिका ने अपने साथ-साथ अपने पैरेंट्स के फैसले को भी सही साबित करके दिखाया है। वे इस बात की भी मिसाल बनी हैं कि एक बार मन में कोई बात ठान ली जाए, तो उसे करने से कोई भी परिस्थिति रोक नहीं सकती।

फल बेचते हैं पिता, बेटा बना डिप्टी एसपी
मऊ जिले के रहने वाले अरविंद सोनकर ने साबित कर दिया है कि पढ़ाई करने और बड़ी परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए सिर्फ मजबूत इच्छा शक्ति की जरूरत होती है ना कि अच्छी सुविधाओं की। अरविंद सोनकर बहुत ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं लेकिन उन्होंने UPPSC परीक्षा में डिप्टी एसपी का पद हासिल किया है। लेकिन यहां तक पहुंचने में उन्होंने जिन परिस्थितियों का सामना किया है उन हालातों में पढ़ाई के प्रति एकाग्रता और लगन बनाए रखना बहुत मुश्किल होता है।
मां की मौत और पिता की बीमारी में भी नहीं हारी हिम्मत
बचपन से ही अरविंद की पढ़ाई में रुचि रही। उनके पिता गोरख सोनकर ने उनकी पढ़ाई को जारी रखने और जरूरतों को पूरा करने की हर कोशिश की। अरविंद के पिता फल का ठेला लगाते थे। चाहे कड़ी धूप हो या तेज बारिश वो अपना ठेला कभी बंद नहीं करते थे। लेकिन अचानक अरविंद की मां की कैंसर से मौत हो गई और तनाव के चलते पिता को लकवा मार गया। इस बीच अरविंद के मामा ने उनके पिता का ठेला संभाला और अरविंद को पढ़ाई जारी रखने को कहा। जीवन में आ रही लगातार परेशानियों के बाद भी अरविंद अपने लक्ष्य से नहीं हटे और आज डिप्टी एसपी का पद हासिल करने के बाद उनकी और उनके परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है। उनकी अग्निपरीक्षा फल उन्हें मिल गया है।

पान बेचकर बेटी को बढ़ाया, भाई ने पढ़ाई छोड़ी, बिटिया बनी अफसर
गोंडा की रहने वाली ज्योति चौरसिया ने यूपीपीएसी की परीक्षा में 21वीं रैंक हासिल की है। उन्हें डिप्टी कलेक्टर का पद दिया जाएगा। ज्योति ने इस सफलता का हासिल करने के लिए कठिन परिस्थितियों को हराया है। उनके पिता शहर के जलकल चौराहे के पास पान की दुकान चलाते हैं और इससे ही उनका घर चलता है। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होन के चलते भाई ने भी पढ़ाई छोड़ दी। लेकिन ज्योति को परिवार ने हमेशा पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया। ज्योति ने पांचवें प्रयास में यह सफलता पाई है। इस बीच उनकी तबीयत भी बिगड़ी थी लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार दिखा ही दिया की दृढ़ निश्चय के सामने कोई भी कठिनाई बड़ी नहीं होती।

किसान की बेटी बनी एसडीएम
बदलापुर इलाके के ग्राम सीड में रहने वाले हरिश्चंद्र यादव की बेटी रश्मि यादव ने कड़ी मेहनत और लगन से एसडीएम का पद हासिल किया है। रश्मि के पिता हरिश्चंद्र एक साधारण से किसान हैं लेकिन उन्होंने बेटी को कभी भी पढ़ाई के लिए नहीं रोका। रश्मि के मामा धीरेंद्र यादव फतेहपुर के एसडीएम हैं। रश्मि ने अपने मामा के मार्गदर्शन में ही तैयारी की और आज इस मुकाम पर पहुंची हैं। रश्मि अपनी सफलता का श्रेय अपने मामा को देती हैं।