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सानिया के छलके आंसू, आखिरी ग्रैंड स्लैम हारने के बाद हुईं इमोशनल, ऐसा रहा है उनका करियर

देवरिया । भारत की स्टार टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने अपने जोड़ीदार हमवतन रोहन बोपन्ना के साथ शुक्रवार को ऑस्ट्रेलियाई ओपन टेनिस टूर्नामेंट के मिश्रित युगल में उपविजेता रहकर अपने ग्रैंड स्लैम करियर का समापन किया। सानिया और बोपन्ना की गैर वरीयता प्राप्त जोड़ी को रॉड लेवर एरेना में खेले गए फाइनल में लुइसा स्टेफनी और राफेल माटोस की ब्राजीलियाई जोड़ी से 6-7 (2) 2-6 से हार का सामना करना पड़ा। साल 2001 में उन्होंने इंडिया के ITF टूर्नामेंट के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद अगले 22 साल तक उन्होंने टेनिस की दुनिया में खूब रंग जमाया।

क्या बोलीं सानिया?

मैच के बाद सानिया भावुक हो गई और बमुश्किल अपने आंसू थाम पाई। उन्होंने कहा, ‘अगर मैं रोती हूं तो यह खुशी के आंसू होंगे। मुझे अभी दो और टूर्नामेंट में हिस्सा लेना है। मेरे करियर की शुरुआत मेलबर्न में ही हुई थी। 2005 में मैं तीसरे दौर में सेरेना विलियम्स के खिलाफ खेली थी। उस समय मैं 18 साल की थी। मैं भाग्यशाली हूं कि बार-बार यहां आने में सफल रही और कई टूर्नामेंट भी यहां जीते। साथ ही कई बेहतरीन फाइनल मुकाबले भी खेले। रोड लेवर मेरी जिंदगी में खास रहा है। ग्रैंड स्लैम में अपना करियर समाप्त करने के लिए मैं इससे बेहतर एरेना के बारे में नहीं सोच सकती। मुझे यहां घर जैसा महसूस कराने के लिए धन्यवाद।”

सानिया ने कहा, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने बेटे के सामने ग्रैंड स्लैम फाइनल खेलूंगी इसलिए यह मेरे लिए खास है। मेरा चार साल का बेटा यहां है और मेरे माता-पिता यहां हैं। रोहन की पत्नी, मेरा ट्रेनर और मेरा परिवार ऑस्ट्रेलिया में हैं जिससे मुझे यहां घर जैसा माहौल लग रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘कारा ब्लैक मेरी बहुत अच्छी सहेली और मेरी सर्वश्रेष्ठ जोड़ीदार रही है। मैं इन सब जोड़ीदारों के बिना कुछ भी हासिल नहीं कर सकती थी और इसलिए वे मेरे लिए खास हैं।”

भारत की सबसे सफल महिला टेनिस खिलाड़ी

सानिया मिर्जा अभी 36 साल की हैं। उन्होंने पहले ही घोषणा कर दी थी कि दुबई में अगले महीने होने वाली डब्ल्यूटीए प्रतियोगिता उनके करियर का आखिरी टूर्नामेंट होगा। वह भारत की सबसे सफल महिला टेनिस खिलाड़ी हैं। उन्होंने महेश भूपति के साथ मिलकर 2009 में ऑस्ट्रेलियाई ओपन और 2012 में फ्रेंच ओपन का मिश्रित युगल खिताब जीता था। उन्होंने 2014 में ब्राजील के ब्रूनो सोरेस के साथ मिलकर अमेरिकी ओपन का मिश्रित युगल खिताब अपने नाम किया था। रॉड लेवर एरेना में उनका रिकॉर्ड अच्छा रहा है। उन्होंने यहां महिला युगल और मिश्रित युगल का खिताब जीता है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलियाई ओपन में वह चार बार उपविजेता भी रही है।

पहला सिंगल्स WTA टूर टाइटल

साल 2005 में सानिया ने पहला सिंगल्स WTA टूर टाइटल जीता था। यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह पहली भारतीय महिला थीं। इसी साल वह टॉप-50 रैंकिंग में जगह बनाने में सफल रही। वह WTA न्यूकमर ऑफ दी ईयर भी चुनी गई। इससे पहले किसी भी भारतीय खिलाड़ी को टेनिस जगत में यह मुकाम हासिल नहीं हुआ था। यहां से सानिया मिर्जा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने बैक टू बैक WTA डबल्स टाइटल्स जीते और ग्रैंड स्लैम में भी अपनी छाप छोड़ती गईं। साल 2007 में वह WTA सिंगल्स रैंकिंग में 27वें पायदान पर थीं। सानिया ने अपने करियर में एक सिंगल्स WTA टाइटल और 43 डबल्स WTA टाइटल्स जीते हैं।

6 डबल्स ग्रैंड स्लैम टाइटल्स

साल 2009 में सानिया ने अपने करियर का पहला ग्रैंड स्लैम टाइटल जीता। महेश भूपति के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन 2009 में वह मिक्स्ड डबल्स चैंपियन बनी। इसके बाद मिक्स्ड डबल्स में फ्रेंच ओपन 2012 और यूएस ओपन 2014 में भी उन्होंने टाइटल्स जीता। इसके बाद उनका ज्यादा फोकस महिला डबल्स पर गया। 2015 में सानिया ने विंबलडन और यूएस ओपन में महिला डबल्स टाइटल जीते। 2016 में वह ऑस्ट्रेलियन ओपन में महिला डबल्स टाइटल जीतने में सफल रही। इस तरह अपने करियर में उन्होंने कुल 6 डबल्स ग्रैंड स्लैम टाइटल जीते।

महिला डबल्स में नंबर-1 रैंकिंग
सानिया मिर्जा सबसे पहली बार महिला डबल्स में नंबर-1 रैंकिंग हासिल करने में कामयाब रही। 13 अप्रैल 2005 को ही उन्होंने यह मुकाम हासिल कर लिया था। वह 91 हफ्तों तक टॉप पर बरकरार रहीं।

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