देवरिया न्यूज़

: :

यहां स्थित हैं 12 ज्योतिर्लिंग, दर्शन के साथ कीजिए सभी कष्ट हरने वाले इस मंत्र का जाप

देवरिया: भगवान शिव को बेहद प्रिय सावन का महीना शुरू हो गया है। सावन माह में शिव भक्त भोलेनाथ की भक्ति में लीन हो जाते हैं। मंदिर हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठते हैं। शिवालयों में बड़ी संख्या में भक्त भगवान शंकर के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं। इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन। ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का अलग धार्मिक महत्व है। कहते हैं जहां-जहां भोले बाबा स्वयं प्रकट हुए, उन 12 स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। आइए आशुतोष को प्रिय सावन महीने में हम आपको 12 ज्योतिर्लिंगों के अद्भुत दर्शन कराते हैं लेकिन पहले द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र का जाप करिए, जो आपके समस्त पाप और कष्टों को हर लेता है।

इस मंत्र से कट जाते हैं समस्त पाप, दूर होते हैं कष्ट

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम्।।
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
॥ इति द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति संपूर्णम्‌ ॥

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को माना जाता है।
शिवभक्तों के आस्था का यह केंद्र गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र के समुद्र किनारे स्थित है। ऐसी मान्यता है इस मंदिर का निर्माण चंद्रदेव ने कराया था। शिव पुराण के अनुसार चंद्रमा को राजा दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था। तब श्राप से मुक्ति पाने के लिए इसी जगह पर शिव जी की पूजा की और श्राप से मुक्ति पाई थी। चंद्र को सोम भी कहा जाता है इसीलिए यहां स्थापित शिवलिंग सोमनाथ के नाम से जाना गया।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)
आंध्र प्रदेश मे कृष्ण नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग स्थित है। इसे दक्षिण कैलाश भी कहते हैं। यहां भगवान शिव को श्री मल्लिकार्जुन स्वामी के रूप में और माता पार्वती को भ्रामराम्बिका के रूप में पूजा जाता है, दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। 12 ज्योतिर्लिंगों में यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, जिसका ज्योतिष में विशेष महत्व है। यहां प्रतिदन होने वाली भस्म आरती पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। ऐसी मान्यता है कि तीर्थ यात्रियों का तीर्थ तभी पूरा होता है जब वो सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं। ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर एक पांच मंजिला इमारत है, जिसके पहले तल पर भगवान महाकालेश्वर विराजित हैं, तीसरे तल पर सिद्धनाथ महादेव, चौथे तल पर गुप्तेशवर महादेव और पांचवे तल पर राजेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)
उत्तराखंड में अलखनंदा और मंदाकिनी नदी के तट पर केदार नाम की चोटी पर केदारनाथ ज्योतिर्लिंग है। यहां से पूर्व की ओर बद्री विशाल का बद्रीनाथ धाम स्थित है। कहा जाता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी रहती है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
महाराष्ट्र के पूणे से करीब 100 किलोमीटर दूर डाकिनी में स्थित है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग। यहां स्थापित शिवलिंग का आकार काफी मोटा होने के कारण इसलिए इसे मोटेस्वर महादेव भी कहा जाता है। इस मंदिर के पास ही भीमा नदी बहती है, जो आगे जाकर कृष्णा नदी से मिल जाती है।

बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश)
उत्तर प्रदेश की धर्म नगरी काशी को वाराणसी शहर के नाम से भी जाना जाता है। यहां गंगा नदी के किनारे बाबा विश्वनाथ विराजमान हैं। इसे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कैलाश छोड़कार भगवान शिव ने यहीं अपना स्थाई निवास बनाया था।


त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
महाराष्ट्र के नासिक से 30 किलोमीटर दूर गोदावरी नदी के किनारे विराजमान हैं त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग। यह मंदिर काले पत्थरों से बना है। शिवपुराण में वर्णन है कि गौतम ऋषि और गोदावरी की प्रार्थना पर भगवान शिव यहां विराजे थे। ऐसी मान्यता है कि जिन पर काल सर्प दोष हो, उन्हें त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में पूजा-आराधना करनी चाहिए इससे उनका दोष कट जाता है।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)
वैद्यनाथधाम के नाम से प्रसिद्द वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि एक बार रावण ने कठिन तप कर भगवान शिव को लंका ले जाने का वरदान मांगा, शिवजी ने शर्त रखी की रास्ते में कहीं भी शिवलिंग को जमीन पर नहीं रखोगे, नहीं तो मैं वहीं स्थापित हो जाऊंगा। भगवान की लीला से रास्ते में रावण को लघुशंका लगी उसने पास खड़े विष्णु जी को, जो बैजू नाम के ग्वाले के रूप में थे शिवलिंग पकड़ा दिया। भगवान विष्णु ने वहीं शिवलिंग नीचे रख दिया। बैजू ग्वाले के नाम पर ही वैद्यनाथ नाम होने की मान्यता है। सावन के महीने में भक्त दूर-दूर से जल लाकर बाबा का जलाभिषेक करते हैं। भक्तों में मान्यता है कि लगातार बाबा की आरत-दर्शन करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
नागेश्वर महादेव का मंदिर गुजरात के द्वारका धाम से 17 किलोमीटर दूर स्थित है। भगवान शिव को नागों का देवता माना गया है। नागेश्वर का अर्थ ही होता है नागों का देवता, इसलिए यह मंदिर विष और विष से संबंधित रोगों के निवारण के लिए प्रसिद्द है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की कथा सुनने का बड़ा महत्व बताया गया है, कहा जाता है सच्चे मन से कथा सुनने पर सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडू)
रामेश्वर भगवान शिव का 11वां ज्योतिर्लिंग है, जो तमलिनाडु के चेन्नई से करीब 425 किलोमीटर दूर रामनाथम नामक स्थान में है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने इसी शिवलिंग की स्थापना की थी। रामेश्वर चारों तरफ से बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर से घिरा हुआ है। रामेश्वर जाने के लिए समुद्र पर पुल है, जिसके ऊपर से ट्रेन समुद्र के बीच से गुजरती है। ये रामेश्वर जाने वाले भक्तों के लिए बड़ा ही रोमांचक अनुभव होता है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग औरंगाबाद के पास वेरुल गांव में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में यह आखिरी ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है। घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन को संपूर्ण करता है। कहते हैं नि:संतान दंपति के घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से संतान प्राप्ति होती है।

भगवान शिव आप सबका कल्याण करें।

फोटो सौजन्य https://twitter.com/12jyotirling अकाउंट

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *