देवरिया: हरियाली हर किसी को पसंद होती है। लोग नेचर की गोद में जाने के लिए, ग्रीनरी देखने के लिए हॉलीडे प्लान करते हैं। पेड़-पौधे, सुंदर-सुंदर फूलों को देखकर सबका दिल खुश हो जाता है। लेकिन अगर आपके घर में कम जगह हो और काम की वजह से ज्यादा बाहर निकलना न हो पा रहा हो तो आप घर पर ही छोटा सा कोना डेवलप कर सकते हैं। ऐसे में बोनासाई एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। बोनसाई को छोटे रूप में ही विकसित किया जाता है इसलिए उन्हें ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती।

क्या होते हैं बोनसाई पौधे
बोनसाई एक जापानी शब्द है। जापान में हजारों साल पहले से ही बोनसाई पौधे बनाने का चलन हैं वहां कुछ विशेष पौधों के बोनसाई को शुभ भी माना जाता है। बोनसाई पौधों की उम्र 10 साल से लेकर 100 साल तक भी हो सकती है लेकिन जैसा कि नाम है ये बौने ही रहते है। पौधों को बौना रखते हुए भी पर्याप्त पोषण देना ही बोनसाई कला है। इस तकनीक को ठीक तरह पूरा करने से पौधों की लंबाई तो सीमित रहती है लेकिन उनमें फूल और फल सामान्य पेड़ की तरह ही आते हैं। आजकल लोग घरों के अंदर मिनिएचर गार्डन तैयार करना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में बोनसाई पौधों से मिनिएचर गार्डन को सुंदर बनाने में बहुत मदद मिलती है। अगर आप भी बोनसाई से अपने घर की सुंदरता बढ़ाना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
बोनसाई के लिए पौधों का चुनाव
बोनसाई बनाने के लिए अपने आस-पास की जलवायु को ध्यान में रखते हुए पौधों का चुनाव करें। कुछ पौधे बर्फ वाली जगहों पर जिंदा नहीं रह पाते, तो कुछ को शून्य डिग्री तापमान ही चाहिए होता है। अगर आपके आस-पास कोई बोनसाई बनाने वाले एक्सपर्ट होंगे, तो उनसे सलाह भी ली जा सकती है। बिगनर्स के लिए जूनिपर एक अच्छी किस्म होगी क्योंकि ये सदाबहार पेड़ होते हैं और लगभग हर तरह की जलवायु में जीवित रह जाते हैं।

बोनसाई के लिए गमलों का चयन
बोनसाई को खास तरह के गमलों में लगाया जाता है, जो आम गमलों की तरह ज्यादा गहरे नहीं होते हैं। गमले का चुनाव करते समय यह ध्यान रखें कि गमले में कम से कम पेड़ की जड़ को संभाले रखन के लायक मिट्टी भरी जा सके। अगर आप घर के अंदर के लिए बोनसाई तैयार कर रहे हैं तो बाजार में और ऑनलाइन साइट्स पर सुंदर पॉट उपलब्ध हैं।
सिंचाई करते वक्त ध्यान दें
बोनसाई पौधों की सिंचाई आम पौधों की तरह नहीं होती है। बोनसाई की ठीक तरह से ग्रोथ और आकार के लिए सिंचाई पर खास ध्यान देना चाहिए। पौधा किस प्रजाति का है, ये जानना भी बहुत जरूरी है। इसकी जानकारी के अनुसार ही सिंचाई करें। बोनसाई पौधों को अक्सर उथले पॉट में लगाया जाता है ऐसे में ज्यादा पानी देने से गमलों से मिट्टी बह जाएगी और बोनसाई ठीक तरह से ग्रोथ नहीं कर पाएगा।

सबसे महत्वपूर्ण है बोनसाई को आकार देना
बोनसाई की पहचान उनके आकार से ही होती है। इन पौधों का छोटा आकार ही पहचान है। लेकिन ये पौधे अनुवांशिक रूप से बौने नहीं होते बल्कि सही समय पर और सही तरीके से कांट-छांट करके उन्हें आकार दिया जाता है। और यही बोनसाई लगाने की प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण स्टेप है।
सामान्य पौधों से ज्यादा देखभाल की है जरूरत
क्योंकि हमें बोनसाई पेड़ो को एक मनचाहा आकर देना है इसलिए इनकी ठीक प्रकार से देखभाल करना और भी जरूरी हो जाता हैं। किसी भी पेड़ को अच्छे से उगाने के लिए हम अपनी तरफ से थोड़ा प्रयास करते हैं और बाकी काम प्रकृति खुद कर देती है। लेकिन बोनसाई के मामले में हम प्रक्रति पर सब कुछ नहीं छोड़ सकते। अगर हमने ऐसा किया तो हमारा पेड़ बौना रहने की बजाए बड़ा हो जाएगा, जो हम चाहते नहीं हैं। इसलिए जरूरी है कि इन पौधों की सही देखभाल की जाए।

बोनसाई पौधों को चीन और जापान की संस्कृति में बहुत शुभ माना जाता है। जापानी लोग बांस के बोनसाई पौधों को पैसों की बढ़त के लिए व्यापारिक स्थानों पर लगाते हैं। अब भारत में भी बोनसाई काफी लोकप्रीय हो चला है, यहां लोग इसे गार्डन और घर के अंदर सजाने के लिए ज्यादा उपयोग करते हैं।