देवरिया न्यूज़

देवरिया के भलुआ गांव में खुली लाइब्रेरी, अब गांव में नहीं होगी किताबों की कमी

देवरिया। देवरिया जनपद के ग्राम भलुआ पोस्ट परसिया में डॉ. महेश सिंह ने ग्रामीणों के लिए किताबों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए “ग्रामीण पुस्तकालय” की स्थापना की। ग्रमीण इलाकों में भी विद्यार्थी ऐसे होते हैं जिन्हे पढ़ने में रुचि होती है लेकिन पर्याप्त संसाधन नहीं होने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, शहरों की तरह गांवों में भी इस तरह से पुस्तकालय खुलने से विद्यार्थियों के साथ और दूसरे भी जो पढ़ना चाहते हैं उन्हे मदद मिलेगी। किताबें हर किसी के बौद्धिक विकास में मददगार होती हैं।

इस कार्यक्रम में दीपदान महोत्सव आयोजन समिति, कुशीनगर (DMASK) के द्वारा पत्रकार एवं चिंतक सत्येंद्र पीएस द्वारा लिखित (अनुदित) पुस्तक ‘मंडल कमीशन : राष्ट्र निर्माण की बड़ी पहल’, ई. जीसी सिंह की पुस्तक ‘भारतीय लोक परंपराओं में भगवान बुद्ध और उनका धम्म’ (2 प्रति), रवींद्र प्रताप सिंह द्वारा संपादित पुस्तक ‘समंदर में सूरज’ (2 प्रति), सावित्रीबाई फुले पंचांग, जिसके पीछे 10 महान शख्सियतों पर आलेख हैं। (10 प्रति) पुस्तकालय को उपलब्ध कराया गया। सभा में मौजूद लोगों को पूजा सिंह की पेंटिंग की गई बुद्ध की तस्वीर वाले कलेंडर वितरित किए गए।

तहसीलदार डॉ. भागीरथी सिंह भी रहे मौजूद
कार्यक्रम में मौजूद डॉ भागीरथी सिंह ने कहा- “ जब एक पूरी पीढ़ी मोबाइल की ‘मानसिक कैदी’ बन गई हो, लोग तीस सेकेंड का रील देखने और बनाने में व्यस्त हों, युवा पुस्तकों के बजाय चन्द सेकंड में सफलता और करोड़पति बनने का मंत्र तलाश रहें हों! तब ‘ग्रामीण पुस्तकालय’ की स्थापना न केवल गाँव के लोगों को पुस्तक उपलब्ध करवाकर अध्ययन संस्कृति से समझ का विस्तार करेगा बल्कि संसाधन विहीन युवाओं के लिए एक उम्मीद भी साबित होगा”

डॉ. महेश सिंह ने पुस्तकालय को बताया समाज सुधारक
महेश सिंह ने बताया कि पुस्तकालय खोलने की प्रेरणा मेरी बहन एडवोकेट श्रेया हैं जिन्होने शिक्षा के लिए काफी संघर्ष किया है। गांव के आस-पास स्कूल कॉलेज नहीं होने युवा नशा करने, ताश-जुआ खेलने जैसी सामाजिक बुराइयों में बुरी तरह फँस गए हैं। जिससे ग्रामीण समाज बरबाद हो रहा है। यह पुस्तकालय लोगों की सार्थक सामाजिक गतिविधियों और पढ़ने-लिखने का केंद्र होगा। इसमें बच्चे, बूढ़े, युवा सभी के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली पुस्तकें होंगी एवं डिमांड पर अन्य आवश्यक पुस्तकें उपलब्ध कराने का भी प्रयास रहेगा। समय-समय पर छात्रों के प्रवेश, विषय चयन और उच्च शिक्षा के संबध में विषय विशेषज्ञों के द्वारा काउंसलिंग का कार्य भी किया जाएगा।

उचित मार्गदर्शन की कमी से भटकते हैं युवक: शिवांग सिंह
कार्यक्रम में मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता शिवांग सिंह ने कहा –“’हाईस्कूल और इंटर कॉलेज की पढ़ाई के बाद युवा उहापोह की स्थिति में आ जाते हैं, जैसे-तैसे पढ़ाई पूरी करते के बाद आगे की पढ़ाई अनियोजित तरीके से करने के कारण उसके सामने रोजगार का संकट आ जाता है”। उन्होंने सुझाया कि युवाओं को माध्यमिक की पढ़ाई के बाद कोई न कोई व्यवसायिक प्रशिक्षण या विदेशी भाषाओं में कोर्स अवश्य कर लेनी चाहिए, इससे रोजगार के नए अवसर मिल सकते हैं।

ज्ञान व्यक्ति को समाज नेतृत्व के योग्य बनाता है: आदित्य प्रताप सिंह
शिक्षक आदित्य प्रताप सिंह ने कहा कि “गाँव में लोग एक जुमला दोहराते रहते हैं कि पढ़ लिख के कोई राजा हुआ है? यह युवाओं से बोला गया सबसे बड़ा झूठ है। पढ़ लिख कर ही प्रतिष्ठित संवैधानिक पद पाया जा सकता। ज्ञान व्यक्ति को समाज नेतृत्व के योग्य बनाता है और नेतृत्वकर्ता ही आज का राजा है।

डॉ. विजयश्री मल्ल ने पुस्तकालय की पहल को सराहा
शिक्षिका डॉ. विजयश्री मल्ल ने कहा कि लीक बनाने का काम महत्वपूर्ण होता है। स्कूल दूर होने से गाँव में लड़कियां इंटर के बाद पढ़ नहीं पाती थीं। इंटर के बाद हम तीन सहेलियों ने गाँव से दूर यात्रा कर पढ़ाई का निर्णय लिया था और आज उस सड़क से गांव की हजारों लड़कियाँ पढ़ने जाने लगी हैं। डॉ. महेश ने पुस्तकालय की स्थापना कर एक ऐसा ही रास्ता खोला है। यह लड़कियों के लिए विशेष मददगार साबित होगा।

शिक्षित व्यक्ति ही परम्पराओं की समीक्षा कर सकता है: हितेश सैंथवार
सहायक प्रोफेसर डॉ. हितेश सिंह सैंथवार ने कहा कि ‘शिक्षित व्यक्ति ही अपनी परम्पराओं की समीक्षा का साहस कर पाता है अन्यथा लोग इसे बिना तर्क एवं समझ के परंपराओं के बोझ को कुली की भाँति पीढ़ी दर पीढ़ी ढोते रहते हैं। ग्रामीण पुस्तकालय और सामूहिक अध्ययन कक्ष न केवल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सहयोग करेगा अपितु सामूहिकता का भाव जगाने, वाद-विवाद-संवाद को प्रेरित कर लोकतांत्रिक समझ विकसित करने में भी सहायक होगा।

पुस्तकालय उम्मीद की किरण: संजय दीप
सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ता संजय दीप ने कहा- सरकार एक तरफ धर्मस्थल, धार्मिक आयोजनों पर खूब धन खर्च कर रही, वहीं विश्वविद्यालयों, शिक्षालयों के अनुदान में कटौती कर रही है। सरकार धार्मिक यात्राओं पर फूल बरसा रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश में PET जैसी परीक्षा के लिए 50 लाख से अधिक प्रतियोगी व अभिभावक जान हथेली पर लेकर यात्रा करने को मजबूर किये गए, इनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं दिखा। ऐसे निराशा के माहौल में ग्रामीण पुस्तकालय उम्मीद की किरण है।

डॉ चतुरानन ओझा ने ग्रामीण पुस्तकालय की तारीफ की

कार्यक्रम की अध्यक्षतता कर रहे सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता कॉमरेड डॉ. चतुरानन ओझा ने ग्रामीण पुस्तकालय की अवधारणा की तारीफ करते हुए कहा-“ ऐसे पुस्तकालय छात्रों के सेलेबस से बाहर सामाजिक शिक्षा देने व जिज्ञासा तृप्ति में उपयोगी होते हैं। आज भारतीय समाज अंधविश्वास पर पैसे और समय बर्बाद कर रहा है। सरकार द्वारा धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन इस चलन को और बढ़ावा दे रहा है। जबकि किसी समाज की तरक्की तार्किक और वैज्ञानिक समझ से ही संभव हो पाती है”। उन्होने लोगों से पुस्तकालय के लिए यथाशक्ति सहयोग की अपील की।

डॉ रविंद्र प्रताप ने की सभा की अध्यक्षता
डॉ. रवींद्र प्रताप सिंह ने कहा-“ ग्रामीण परिवेश में लोगों का ध्यान तात्कालिक लाभ पर ज्यादा रहता है। लोग प्रात: चार बजे जागकर अपने मवेशियों की देखभाल पूरे मन से इस उम्मीद में करते हैं कि शाम तक दो-चार लीटर दूध मिल जाएगा, परंतु अपनी संतानों पर निवेश के प्रति गंभीर नहीं होते। नतीजन उनके संतान की शिक्षा उपेक्षित एवं अनियोजित हो जाती है। यह पुस्तकालय अपने आयोजनों के माध्यम से अभिभावकों में शिक्षा के प्रति निवेश को प्रेरित करेगा।

कार्यक्रम के आखिर में सभी अतिथियों और उपस्थित जनों ने पुस्तकालय की समृद्धि के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। श्यामा मल्ल महाविद्यालय एवं इंटर कॉलेज के प्रबंधक मणिदेव मल्ल ने कहा कि मैं यहां से प्रेरणा लेकर जा रहा हूँ और जल्द ही अपने गाँव मे भी एक पुस्तकालय खोलूंगा।
इस अवसर पर विद्यासागर मल्ल, ग्राम भलुआ के प्रधान वीरकेश्वर सिंह, रामप्रवेश सिंह, श्रीराम सिंह, पंकज शर्मा, मनोज प्रजापति, पवन प्रजापति, एडवोकेट सतीश गिरी, योगेश कुशवाहा, विनय यादव, लल्लन सिंह, कोमल प्रसाद आदि के साथ गाँव के सैकड़ो युवा उपस्थित रहे।

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *