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एशिया की पहली महिला लोको पायलट ने चलाई वंदे भारत एक्सप्रेस, 5 मिनट पहले ही पहुंचाई ट्रेन

देवरिया: एशिया की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव का नाम तो आपको याद ही होगा, उनके नाम अब एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। सुरेखा अब सेमी-हाई स्पीट ट्रेन वंदे भारत को चलाने वाली भी पहली महिला लोको पायलट बन गई हैं। सुरेखा ने सोमवार को सोलापुर स्टेशन से मुंबई के CSMT के बीच वंदे भारत को चलाया।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया ट्वीट
लोको पायलट सुरेखा यादव की उपलब्धि पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट कर लिखा- “वंदे भारतीय नारी शक्ति द्वारा संचालित। पहली महिला लोको पायलट श्रीमती सुरेखा यादव ने ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ का संचालन किया।”


मध्य रेलवे ने सुरेखा यादव का किया सम्मान
मध्य रेलवे ने जानकारी दी कि ट्रेन 13 मार्च को निर्धारित समय पर सोलापुर स्टेशन से रवाना हुई और आगमन के निर्धारित समय से पांच मिनट पूर्व CSMT स्टेशन पहुंची। 450 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने पर सुरेखा यादव को CSMT स्टेशन के प्लेटफॉर्म-8 पर सम्मानित किया गया। सुरेखा यादव के द्वारा वंदे भारत के संचालन पर मध्य रेलवे ने कहा- “वंदे भारत एक्सप्रेस की पहली लोको पायलट बनकर सुरेखा यादव ने मध्य रेलवे के इतिहास में एक और उपलब्धि जोड़ दी है।”


नए भारत की नारीशक्ति का आत्मविश्वास: पीएम
सुरेखा यादव के द्वारा वंदे भारत का संचालन करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किया और कहा- “यह नए भारत की नारीशक्ति का आत्म विश्वास है! जीवन के हर क्षेत्र में आज महिलाएं जिन उपलब्धियों को अपने नाम दर्ज करा रही हैं, वो अमृतकाल में देश के संकल्पों के साकार होने का विश्वास दिलाती हैं”


एशिया की पहली महिला लोको पायलट हैं सुरेखा
सुरेखा यादव को 2011 में एशिया की पहली महिला लोको पायलट होने का सम्मान मिला था। सुरेखा ने 1986 में असिस्टेंट लोको पायलट के लिए लिखित परीक्षा पास की थी, जिसके बाद कल्याण के ट्रेनिंग स्कूल में असिस्टेंट लोको पायलट के तौर पर अपॉइंट हुई थीं। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद 1989 में प्रमोट होकर वो परमानेंट असिस्टेंट लोको पायलट बन गईं। सुरेखा महाराष्ट्र के सातारा जिले के एक कस्बे की रहने वाली हैं, उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है।


सुरेखा के नाम हैं कई उपलब्धियां
साल 2011 में सुरेखा को एक्सप्रेस मेल के संचालन की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसके बाद ही उन्हें एशिया की पहली महिला लोको पायलट होने का सम्मान मिला था। इसके साथ ही सुरेखा के नाम कई राष्ट्रीय और राज्य स्तर की उपलब्धियां हैं। सुरेखा ने सबसे पहले मालगाड़ी चलाकर लोको पायलट के रूप में ट्रेन का संचालन शुरू किया था। साल 2000 में उन्हें मोटर महिला के पद पर भी प्रमोशन मिला था।

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