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कैंसर मरीजों के लिए पहली आयुर्वेदिक दवा, कम करती है कीमो–रेडियोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स

देवरिया। एक निजी कंपनी का दावा है कि कैंसर मरीजों के लिए आयुर्वेदिक दवा (cancer treatments)का क्लिनिकल ट्रायल (clinical trial for ayurvedic medicine) सफल रहा है। ये कीमो और रेडियोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स कम करती है। इससे ट्यूमर के बायोमार्कर कम होते हैं और व्हाइट ब्लड सेल्स और हीमोग्लोबिन बढ़ता है। दवा मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत बनाती है।(cancer treatments) बॉडी रिवाइवल नाम की इस दवा का क्लिनिकल ट्रायल इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से निर्धारित एसओपी के अनुसार, कोलकाता के जेबी रॉय स्टेट आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हुआ। कोऑर्डिनेटर डॉ. तपस कुमार सुर ने बताया कि अक्टूबर 2023 से नवंबर 2024 तक ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों पर यह ट्रायल किया गया। 

कीमो और रेडियोथेरेपी से होने वाली परेशानियां

क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री में अपलोड हुई फाइनल रिपोर्ट के अनुसार, ट्रायल के दौरान 18–60 साल की उम्र की ब्रेस्ट कैंसर पीड़ित उन महिलाओं को सपोर्टिव सप्लीमेंट की तरह यह दवा दी गई है, जिनकी कीमो या रेडियोथेरेपी हो चुकी थी। इन्हें 12 सप्ताह तक 6 दिन के अंतराल से 6 एमएल दवा दी गई। इसका जो असर सामने आया वो चौंकाने वाला है। जिन महिलाओं को दवा दी गई उन्हें कीमो और रेडियोथेरेपी से होने वाली उल्टी, थकान और भूख नहीं लगने जैसे साइड इफेक्ट्स नहीं हुए। वहीं, सीए-15.3 ट्यूमर मार्कर स्तर में 43% की कमी (कीमोथेरेपी ग्रुप) और 30.9% की कमी (रेडियोथेरेपी ग्रुप) हुई। यानी फिर से कैंसर होने का जोखिम कम हुआ। दवा से हीमोग्लोबिन स्तर बढ़ा और डब्लूबीसी और न्यूट्रोफिल काउंट में भी सुधार हुआ। लीवर एंजाइम्स का स्तर भी कम हुआ।

आयुर्वेद का पहला सफल ट्रायल, 1996 से चल रहा रिसर्च

ट्रायल कोऑर्डिनेटर डॉ. तपस कुमार सुर के अनुसार आयुर्वेद के इतिहास में पहली बार कैंसर पेशेंट्स के लिए किसी दवा का सफल क्लिनिकल ट्रायल हुआ है। दवा बनाने वाली कंपनी हेल्थ रिएक्टिव के सीईओ मुनीश खान ने बताया कि बॉडी रिवाइवल पर 1996 से रिसर्च चल रहा था। इसके मल्टी हर्बल फॉर्मूला में बिल्व, वचा, अश्वगंधा, कुकुंदर, चुकरी, मंजीष्ठा, खरबूजा, लोध्र व शहद शामिल हैं। इन सभी कैंसर रोधी तत्व पाए जाते हैं।

कैंसर से लड़ने में मदद मिलेगी

पद्मभूषण से सम्मानित कैंसर विशेषज्ञ डॉ. सुरेश आडवाणी कहते हैं- आईसीएमआर के प्रोटोकॉल के अनुसार, आयुर्वेद की जिस दवा का सफल क्लिनिकल ट्रायल हुआ है, उसमें व्यक्ति की इम्युनिटी बढ़ाने और शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन करने वाले प्राकृतिक तत्व हैं। कीमो और रेडियोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स कम होने से भी पेशेंट को राहत मिलती है। सर्पोटिव सप्लीमेंट की तरह इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे कैंसर से लड़ने में मदद मिलेगी।

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