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जानें भाई दूज की तिथि और मुहूर्त, भाई को तिलक लगाकर मांगें लंबी उम्र का वरदान

देवरिया। भाई-बहनों का त्योहार साल में 2 बार आता है। एक रक्षाबंधन और दूसरा भाई दूज। दीपावली के एक दिन बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भाई को खाने पर आमंत्रित किया जाता है और तिलक किया जाता है। कहते हैं भाई दूज में भाई को भोजन कराने से और तिलक करने से यम देव भाई की हमेशा रक्षा करते हैं और अकाल मृत्यु से बचाते हैं।


26 या 27 कब मनाएं भाई दूज
इस बार ग्रहण होने की वजह से बहुत से लोगों को त्योहारों और तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि त्योहार किस दिन मनाया जाए। वैसे ही भाई दूज को लेकर भी यही स्थिति है कि भाई दूज 26 अक्टूबर को मनाएं या 27 अक्टूबर को। इस भ्रम की स्थिति से बचने के लिए हम आपको बता दें कि 26 अक्टूबर को दोपहर 2:43 से दूज तिथि लग रही है और 27 अक्टूबर को दोपहर 12:45 तक दूज तिथि रहेगी। उदया तिथी के हिसाब से भाई दूज मनाना चाहते हैं तो 27 अक्टबर को भाई को तिलक करिए क्योंकि इसी दिन सूर्य दूज तिथी में उदित होगा। 27 तारीख को 12:14 से 12:45 तक तिलक करने का शुभ मुहूर्त है।


जानें क्यों मनाया जाता है भाई दूज
भाई दूज की पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य और संज्ञा की दो संतानें थीं यम और यमुना। दोनों भाई बहनों में बहुत प्रेम था। एक दिन यमुना ने अपने भाई से कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भोजन पर आने के लिए वचन ले लिया। यम देव सोचते हैं कि मैं तो प्राण हरने वाला फिर भी मेरी बहन मुझे अपने घर बुला रही है, तो मुझे जाना ही होगा और यमराज खुशी-खुशी यमुना के घर निकल पड़े। जाते-जाते नरक के सभी निवासियों को भी मुक्त कर दिया।
भाई यम के आने से यमुना बहुत प्रसन्न हुई और भाई को तिलक किया और स्वादिष्ट भोजन परोसा। बहन के प्रेम को देखकर यमराज ने भी खुश होकर बहन से वरदान मांगने को कहा। यमुना ने भाई से हर साल कार्तिक की द्वितीया तिथि को घर आने का वरदान मांग लिया और कहा जो भी बहन अपने भाई का इसी तरह सत्कार करके टीका करे उस आपका किसी तरह का भय ना हो। यमदेव ने तथास्तु कहकर यमुना को भेंट स्वरूप सोने-चांदी के गहने और कपड़े दिए। तब से भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है। कहते हैं इस दिन यम और यमुना की भी पूजा करने चाहिए।

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