देवरिया न्यूज़

: :

Chhath Puja : छठ पूजा का दूसरा दिन खरना आज, जानें पूजा विधि और महत्व

देवरिया : आस्था का महापर्व छठ 28 अक्टूबर से नहाय खाय के साथ शुरू हो चुका है। चार दिनों तक चलने वाला इस पर्व की खास रौनक बिहार-झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में देखने को मिलती है। छठ पूजा में सूर्यदेव और छठी मैया की उपासना की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार छठी मैया संतानों की रक्षा करती हैं। शास्त्रों में छठी मैया को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री भी कहा गया है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी बातें और पूजा विधि…

नहाय खाय

छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय होता है। नहाय खाय कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन व्रती लोग स्नानादि के बाद नए वस्त्र धारण करते हैं और शुद्ध शाकाहारी भोजन का सेवन करते हैं। इस दिन शाम के समय पहले व्रत रखने वाला व्यक्ति भोजन करता है उसके बाद घर के अन्य सदस्यों द्वारा भोजन किया जाता है।

खरना

छठ पर्व के दूसरा दिन को खरना कहा जाता है। खरना का मतलब शुद्धिकरण होता है। ये दिन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर खरना करती हैं। खरना के दिन शाम होने पर चावल और गुड़ से खीर का प्रसाद बना कर व्रती महिलाएं पूजा करती है। उसके बाद अपना उपवास खोलती हैं। इसके बाद प्रसाद को सभी में बांट दिया जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करने के साथ ही महिलाओं का निर्जला व्रत शुरु हो जाता है। संध्याकाल में चावल और गुड़ से खीर बनाई जाती है। इस दिन प्रसाद बनाने के लिए नए मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।

संध्या अर्घ्य

कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ पूजा का तीसरा दिन होता है। यही दिन इस पर्व का सबसे प्रमुख दिन माना जाता है। इस मौके पर शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसे संध्या अर्ध्य भी कहा जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं भोर में सूर्य निकलने से पहले रात को रखा मिश्री-पानी पीती हैं। उसके बाद अगले दिन अंतिम अर्घ्य देने के बाद ही पानी पीना होता है। संध्या अर्घ्य के दिन विशेष प्रकार का पकवान “ठेकुवा” और मौसमी फल सूर्य देव को चढ़ाए जाते हैं, और उन्हें दूध और जल से अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है।

उषा अर्घ्य

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को छठ पर्व का चौथा दिन होता है। इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती अपने घर के पास स्थित नदी या तालाब में जाकर उगते हुए सूरज को अर्घ्य देते हैं। इसके साथ ही छठ महापर्व समाप्त हो जाता है।

छठ पूजा की विधि

सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले इन सामग्री को इकठ्ठा कर लें जो इस प्रकार हैं: बांस से बनी 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, लाल सिंदूर, दीपक, सब्जी, शकरकंदी, गन्ना और सुथनी , एक थाली, गिलास और दूध, नारियल, हल्दी, चावल, पान, शहद,चंदन, मिठाई, साबुत सुपारी, नाशपती, बड़ा नींबू, कैराव और कपूर पूजा के प्रसाद के रूप में ठेकुआ, खीर-पुड़ी, चावल के बने लड्डू, सूजी का हलवा, मालपुआ।

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *