देवरिया:15 अगस्त यानी हमारा गणतंत्रता दिवस हर भारतीय के लिए महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा त्योहार होता है। यही वो दिन है जिस दिन पराधीनता की बेड़ियां उतार कर भारत मां के मस्तक पर आजादी का ताज सजा था। इस वर्ष आजादी मिले हमें 75 साल पूरे हो रहे हैं। स्वाधीनता के 75वें साल को देश “अजादी का अमृत महोत्सव” के रूप में मना रहा है। जिसके तहत 13 से 15 अगस्त तक “हर घर तिरंगा” अभियान चलाया गया है। इस अभियान के तहत भारत सरकार ने 20 करोड़ तिरंगा फहराए जाने का लक्ष्य रखा है और जनता से अपील की कि 13 से 15 अगस्त के बीच 20 करोड़ घरों में तिरंगा फहराया जाए। आज पूरा देश तिरंगे में रंगा नजर आ रहा है। देश के कोने-कोने से कभी गर्व करने वाली तो कभी भावुक करने वाली तस्वीरें देखने को मिल रही हैं।

लोग अपने-अपने घरों पर तिरंगा लगा रहे हैं। क्या अमीर, क्या गरीब हर जगह तिरंगा ही तिरंगा नजर आ रहा है। इस देश की हवा में यहां रहने वाले सवा करोड़ नागरिकों की उम्मीद, खुशी, उत्साह, प्रेम, सम्मान, बलिदान सब शामिल है। कुछ तस्वीरें देख कर तो आंखों में नमी और होठों पर मुस्कान तैर गई।

अगर अभी तक नहीं बने तो अब बनिए अभियान का हिस्सा
इस अभियान में शामिल होने के लिए सरकार ने एक वेबसाइट harghartiranga.com बनाई है। इस वेबसाइट पर जाकर हर घर तिरंगा प्रमाण पत्र आप भी डाउनलोड कर सकते हैं। वेबसाइट पर सर्टिफिकेट डाउनलोड करने के सभी स्टेप बताए गए हैं। यहां आपको नाम, मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा, एक प्रोफाइल पिक्चर लगानी होगी और अपनी लोकेशन बतानी होगी जिसके बाद सर्टिफिकेट डाउनलोड और प्रिंट करने का ऑप्शन दे दिया जाएगा। आप में से बहुत से लोगों ने ये सर्टिफिकेट प्राप्त भी कर लिया होगा।

हर घर तिरंगा अभियान का उद्देश्य
इस अभियान को आजादी के 75 साल पूरा होने की खुशी के उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। अभियान का मुख्य उद्देश्य हर भारतीय के मन में तिरंगे और देश के प्रति प्रेम को प्रोत्साहित करना है। साथ इस अभियान से जनता राष्ट्रीय ध्वज के प्रति अपने कर्तव्य के प्रति भी जागरूक होगी। सरकार चाहती है देश का हर नागरिक अपने घर, निजी और सरकारी दफ्तरों में तिरंगा फहराए और इस अभियान को सफल बनाए।

हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा
किसी भी राष्ट्र के लिए उसका राष्ट्रीय ध्वज वहां की जनता के लिए सम्मान और गर्व का विषय होता है। राष्ट्रीय ध्वज से ही देश को पहचान मिलती है। भारत वासियों के लिए भी उनका राष्ट्रीय ध्वज बहुत महत्वपूर्ण है। हमारा ध्वज केवल एक ध्वज नहीं है, ये हमारे देश की शान है और कितने ही बलिदानों के बाद मिली आजादी का प्रतीक है। इसलिए हम इसे सिर्फ राष्ट्रीय ध्वज नहीं बल्कि सम्मान और प्यार से तिरंगा भी कहते हैं। आइए जानते हैं अपने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का गौरवशाली इतिहास के बारे में।
किसने की तिरंगे की अभिकल्पना
सन 1921 में पिंगली वेंकैया ने राष्ट्रीय ध्वज को तैयार किया था। भारत का राष्ट्रीय ध्वज तैयार करना इतना आसान नहीं था। एक बेहतर ध्वज तैयार करने के लिए पिंगली वेंकैया ने 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का बारीकी से निरीक्षण किया, उसके बाद उन्होंने तिरंगे को आकार दिया। 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरूप को स्वीकृति मिली उसके बाद इसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर फहराया जाने लगा

तिरंगे के हर रंग का है अर्थ
तीन रंगों के कारण ही हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा कहलाता है। इसमें प्रयोग किए गए तीनों रंगों केसरिया, सफेद और रहे रंगा का गहरा अर्थ है। केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है, सफेद रंग शांति और सच्चाई का और हरा रंग संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। बीच में सफेद हिस्से पर बने नीले रंग के अशोक चक्र बना है। इसे कर्तव्य का पहिया भी कहा जाता है। इसकी 24 तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती हैं। अशोक चक्र का नीला रंग आकाश, महासागर और सार्वभौमिक सत्य को दर्शाता है।
तिरंगा फहराते वक्त नियमों का भी रखें ध्यान
2002 में एक फ्लैग कोड बनाया गया था जिसके मुताबिक राष्ट्रीय ध्वज सिर्फ दिन में ही फहराया जा सकता था, शाम होने के साथ ही इसे उतार लिया जाता था। भारतीय ध्वज संहिता 2002 में 30 दिसंबर 2021 को संशोधन किया गया । जिसके अनुसार पॉलिएस्टर या मशीन से बने राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग को अनुमति दी गई है। अब राष्ट्रीय ध्वज को कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/रेशम/खादी की पट्टी का उपयोग करके हाथ से या मशीन के द्वारा बनाया जा सकता है।
भारतीय ध्वज संहिता की धारा 1.3 और 1.4 के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज का आकार आयताकार होना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई और ऊंचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3:2 होना चाहिए।भारतीय ध्वज संहिता की धारा 2.1 के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुरूप आम जनता, निजी संगठन, शैक्षणिक संस्थान आदि के सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

अपने घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय हमें इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
भारतीय ध्वज संहिता की धारा 2.2 के अनुसार सार्वजनिक, निजी संगठन या शैक्षणिक संस्थान का कोई सदस्य राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुसार सभी दिनों या अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज को फहरा/प्रदर्शित कर सकते हैं । जब भी राष्ट्रीय ध्वज फहरा रहा हो, उसे सम्मान की स्थिति में और विशिष्ट रूप से रखा जाना चाहिए। क्षतिग्रस्त या अस्त-व्यस्त राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय ध्वज के गलत प्रदर्शन से बचने के लिए हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
● राष्ट्रीय ध्वज को उल्टा नहीं फहराया जाना चाहिए यानी भगवा रंग की पट्टी नीचे की तरफ नहीं होनी चाहिए।
● क्षतिग्रस्त या अस्त-व्यस्त राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित नहीं करना चाहिए।
● राष्ट्रीय ध्वज को किसी भी व्यक्ति या वस्तु की सलामी में नहीं झुकाना चाहिए।
● राष्ट्रीय ध्वज की बराबरी में या ऊपर कोई अन्य ध्वज नहीं लगाना चाहिए। फूल, माला या अन्य प्रतीक सहित कोई भी वस्तु ध्वज दंड पर या उसके ऊपर नहीं रखनी चाहिए।
● राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग उत्सव या किसी अन्य तरीके से सजावट के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
● राष्ट्रीय ध्वज को पानी, जमीन या रास्तों पर नहीं गिराना चाहिए।
● राष्ट्रीय ध्वज को किसी अन्य ध्वज या झंडे के साथ एक ही मास्टहेड (झंडे के शीर्ष भाग) से एक साथ नहीं फहराना चाहिए।
राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग वक्ता की मेज को ढकने हेतु तथा वक्ता के मंच को लपेटने के लिए नहीं करना चाहिए।
राष्ट्रीय ध्वज विकृत होने पर क्या किया जाना चाहिए
● भारत के ध्वज संहिता की धारा 2.2 के अनुसार, यदि राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो इसे व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को ध्यान में रखते हुए जलाकर या किसी अन्य तरीके से नष्ट कर देना चाहिए।
● राष्ट्रीय ध्वज यदि कागज का बना हो और आम जनता के द्वारा लहराया गया हो तो इन झंडों को जमीन पर नहीं फेंकना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को ध्यान में रखते हुए इन्हें निजी तौर पर त्याग देना चाहिए।
आप भी इन बातों को ध्यान में रखते हुए स्वतंत्रता दिवस मनाइए। आजादी का अमृत महोत्सव मनाइए।