देवरिया न्यूज़

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योग दिवस पर हुई इस शादी में वीरभद्रासन मुद्रा में हुई वरमाला, साइन लैंग्वेज में समझाए गए सात वचन, प्लास्टिक रही दूर

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हुई एक शादी मिसाल बन गई। सात फेरे लेने वाले दूल्हा और दुल्हन दोनों ही बोल और सुन पाने में असक्षम हैं। उनका विवाह पूरे रीति-रिवाज से हुआ। सभी मंत्र और सात वचन साइन लैंग्वेज में समझाए गए। खास बात ये है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर हुई इस शादी में वरमाला भी वीरभद्रासन मुद्रा में हुई। इतना ही नहीं इस विवाह ने हमें एक सीख भी देने की कोशिश की है। पूरे आयोजन में कहीं भी किसी भी कार्य के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया। पूरी शादी के दौरान न तो प्लास्टिक की थैली का उपयोग हुआ और न ही डिस्पोजेबल बर्तनों का।

ऐसे पक्का हुआ मीनाक्षी और लकी का रिश्ता
23 साल की दिव्यांग मीनाक्षी के माता-पिता नहीं हैं और वे कई साल से नारी निकेतन में रह रही थीं। 5 साल पहले उन्हें मूक-बधिर संस्था कोपलवाणी भेज दिया गया था। यहां उन्हें साइन लैंग्वेज और हस्तकला से जुड़ी चीजें सिखाई गई। कोपलवाणी संस्था की पद्मा शर्मा की मुलाकात दुर्ग के लकी श्रीवास्तव से हुई थी। वे भी बोल और सुन नहीं सकते। लकी ने जब शादी की इच्छा जताई तब पद्मा ने उन्हें मीनाक्षी के बारे में बताया। कुछ महीने पहले लकी अपने परिवार के साथ कोपलवाणी संस्था आए और दोनों की शादी की बात पक्की हो गई।


इस जोड़े की शादी गायत्री मंदिर में वैदिक रीति-रिवाज के साथ हुई। पंडित जी ने भी जोड़े को इशारों में ही पूजा के निर्देश दिए। सात वचनों को कोपलवाणी संस्था की पद्मा शर्मा ने साइन लैंग्वेज के माध्यम से समझाया। शादी की पूरी व्यवस्था अलग-अलग सामाजिक संस्थाओं ने मिल कर की थी। सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र बैरागी ने भाई के द्वारा की जाने वाली रस्में निभाई और मीठा पानी पिलाकर मीनाक्षी की विदाई की।

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