देवरिया। आपने दुनियाभर के कई व्यंजनों का नाम सुना होगा। स्नैक्स हो या सिंपल दाल-चावल आपको चटनी भी पसंद होगी लेकिन आज हम आपको जिस चटनी के बार में बताने जा रहे हैं, वो जरा खास है। इस चटनी में जितना स्वाद है, उतनी सेहतमंद भी है। इसे खाने के लिए आपको किसी महंगे या बड़े होटल में जाने या फिर रेसिपी जानने की जरूरत नहीं क्योंकि ये आपको एक खास जगह ही मिलेगी। आइए हमारे साथ चलिए छत्तीसगढ़ के बस्तर और स्वाद लीजिए लाल चीटियों से बनी चापड़ा चटनी का। ये यहां के आदिवासियों के पारंपरिक खान-पान का हिस्सा है और बहुत गुणकारी है।
कैसे तैयार की जाती है लाल चीटियों की चटनी ?
चापड़ा चटनी को बनाने के लिए सबसे पहले बहुत सी लाल चीटियों को इकट्ठा किया जाता है। ये चीटियां अक्सर ऐसे पेड़ों पर, जिसमें मिठास वाले फल फलते हैं जैसे-आम, अमरूद और साल पर रहती हैं। चीटियों को घोंसले के साथ ही पेड़ से उतार लिया जाता है। इसके बाद या तो इन्हें झाड़ कर या पानी में डूबाकर अलग कर लिया जाता है। फिर इन्हें नमक, लाल मिर्च के साथ पीसा जाता है। स्वाद बढ़ाने के लिए टामाटर, हरा धनिया, लहसुन भी मिलाया जा सकता है।
बस्तर के हाट-बाजारों में मिल जाती है चटनी
चीटियों में प्राकृतिक रूप से फॉर्मिक एसिड होता है, जिससे इनसे बनी चटनी का स्वाद चटपटा होता है और इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन भी होता है। ‘चापड़ चटनी’ इसका पारंपरिक नाम है, दरअसल चापड़ का अर्थ होता है पत्ते से बनी टोकरी। बस्तर में लगने वाले हाट बाजार में आज भी यह चटनी पत्ते से बनी छोटी-छोटी टोकरियों में बिकती है जिसे स्थानीय बोली में दोना कहते हैं। सामान्यतौर पर एक दोना चटनी 5 रुपए में बिकती है।
चापड़ चटनी में हैं कई औषधीय गुण
आज मेडिकल साइंस के नजरिए से देखें तो यह बात अजीब जरूर लग सकती है लेकिन लाल चीटियों की इस चटनी का उपयोग आदिवासी मलेरिया, डेंगू, सर्दी, पीलिया, खांसी, आंत से जुड़ी समस्याएं को दूर करने और भूख बढ़ाने के लिए उपयोग करते हैं। धीरे-धीरे औषधीय गुणों के कारण इसकी मांग दूसरे इलाकों में भी बढ़ रही है। आदिवासियों को इस प्रकार से इलाज करने की सीख उनके पूर्वजों से विरासत में मिली है। आज भी आदिवासी इलाकों में जब किसी तो तेज बुखार होता है तो आदिवासी बीमार व्यक्ति को उस पेड़ के नीचे बैठा देते हैं जहां लाल चीटी का घोंसला हो। जब लाल चीटी बीमार व्यक्ति को काटती है तो उसका बुखार उतर जाता है। बुखार उतारने के लिए भी चापड़ा चटनी खिलाई जाती है।
