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 HMPV: भारत में मिले 3 मरीज, जानिए वायरस से कितना खतरा?

देवरिया। चीन जहां से कोरोना का पहला केस पाया गया था और पूरी दुनिया में फैल गया था वहां एक नया वायरस अपने पैर पसार रहा है। रिपोर्ट्स की मानें तो चीन के अस्पतालों की हालात कोरोना काल की तरह हो चुकी है। अस्पतालों में बेड कम पड़ रहे हैं मरीज जमीन पर लेटने को मजबूर हैं। यह वायरस HMPV यानी ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस है जो वहां तेजी से फैल रहा है।

भारत समेत कई देश अलर्ट पर

कोरोना वायरस से मची तबाही के बाद अब HMPV पर सभी देश गंभीर हैं। भारत समेत कई देश अलर्ट मोड पर रखे गए है। हालांकी वायरस के स्ट्रक्चर और ये कितना खतरनाक है इस पर अभी रिसर्च जारी है। दुनिया के लिए ये कितना बड़ा खतरा साबित हो सकता है इस पर ठीक-ठीक कुछ कह पाना अभी संभव नहीं है। लेकिन लोगों को अपनी तरफ से सतर्क रहने की हिदायत दी जा रही है।

भारत में मिल चुके हैं 3 केस

भारत में भी HMPV के मरीज मिलने शुरु हो चुके हैं। अब तक 3 मरीज HMPV पॉसिटिव पाए गए हैं। इन मरीजों में छोटे बच्चे ही शामिल हैं। बैंगलुरु में एक 8 महीने के एक बच्चे, 3 महीने की बच्ची और अहमदाबाद में भी एक 2 महीने के बच्चे में ये वायरस पाया गया है। सभी बच्चों की हालात स्थिर है और बच्चे खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय से जारी हुआ बयान

भारत में मिली HMPV केसेस के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से बयान जारी किया गया है। इस बयान में कहा गया है कि तीनों बच्चों के केस में किसी तरही की विदेश यात्रा की हिस्ट्री नहीं पाई गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि HMPV वायरस पहले ही भारत में और दूसरे देशों में पाया गया है। इससे जुड़े मामले पहले ही कई देशों में रिपोर्ट किए गए हैं। इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि HMPV से ग्रसित मरीजों का विदेश यात्रा का इतिहास तो नहीं है।

क्या है HMPV वायरस?

HMPV वायरस मुख्य रूप से स्वसन संबंधी ऑर्गन्स को प्रभावित करता है। यह वायरस सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है लेकिन बच्चों में इम्यूनिटी कम होने की वजह से बच्चे जल्दी संक्रमित हो जाते हैं। बच्चों के साथ ही बुजुर्गों में भी इस वायरस के जल्दी फैलने की संभावना होती है।

क्या हैं HMPV के लक्षण?

HMPV के लक्षण समान्य तौर पर वायरस के संपर्क में आने के 2 से 3 दिनों में दिखाई देने लगते हैं। मुख्य लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या सामने आती है। कुछ गंभीर मामलों में ब्रोंकाइटिस या निमोनिया जैसी कॉम्प्लिकेशन भी देखे गए हैं।

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