देवरिया: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। कहते हैं माता की पूजा से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। मां की महिमा और उनके स्वरूप के बारे में आइए जानते हैं।
ऐसा होता है मां चंद्रघंटा का स्वरूप
देवी चंद्रघंटा के शरीर का रंग सोने के समान चमकीला होता है और मां के दस हाथ होते हैं। मां के दाहिने हाथ में कमल, धनुष, जप की माला और तीर होता है। पांचवां हाथ अभय मुद्रा में होता है। बाएं तरफ के हाथ में त्रिशूल, गदा, कमंडल, तलवार होती है और एक हाथ वरद मुद्रा में होता है। मां चंद्रघंटा सिंह पर सवार रहती है जो दर्शाता है कि मां हमेशा अपने भक्तों की रक्षा के लिए तैयार रहती हैं। माता के घंटे की ध्वनि से राक्षस और दैत्य सदा भयभीत रहते हैं।
मां चंद्रघंटा को पसंद है खीर और मिठाई
चंद्रघंटा मां को खीर, हलवा और मिठाई का भोग प्रिय है। मां को प्रसन्न करने के लिए छोटी कन्याओं को खीर, हलवा और मिठाई खिलानी चाहिए। इससे मां खुश होती हैं और भक्तों की सभी विघ्न, बाधाओं को दूर करती है।
परेशानियों को दूर करने वाली होती हैं मां
माता के भक्तों का मानना है की नवरात्रि के तीसरे दिन माता के मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यदि किसी को शुक्र ग्रह से संबंधित परेशानी है तब भी मां की पूजा अर्चना से उसे परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है क्योंकि शुक्र ग्रह पर मां चंद्रघंटा का आधिपत्य रहता है। इसके साथ ही मान्यता है कि अगर आप पर कर्ज है, तो मां के ऋण मुक्ति मंत्र का 51 बार जप करने से ऋण से मुक्ति मिलती है।