देवरिया: बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले में 11 दोषियों को रिहा करने वाले फैसले के खिलाफ लगी याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। 2 हफ्ते बाद फिर मामले की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने केस के सभी 11 दोषियों को पक्षकार बनाने का निर्देश भी दिया है।
कैसे मिली रिहाई
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के केस में 11 दोषियों को 21 जनवरी 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। 22 अगस्त को जब दोषियों को रिहा किया गया तब से बिलकिस बानो का परिवार सदमे में था। कोर्ट के इस फैसले पर बिलकिस बानो ने कहा था कि उनका न्याय पर से भरोसा उठ गया है। गैंगरेप के 11 अपराधियों को राज्य सरकार की माफी नीति के तहत रिहा कर दिया गया था। यह नीति आजीवन कारावास की सजा भुगतते हुए जेल में 14 साल पूरा कर लेने वाले कैदियों की रिहाई की इजाजत देती है।
फैसले की हो रही है आलोचना
मामला 2002 के गोधरा कांड से जुड़ा हुआ है। गुजरात दंगों के दौरान गर्भवती बिलकिस बानो से गैंग रेप की घटना के साथ परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी, जिसमें बिलकिस की 3 साल की बेटी भी शामिल थी। बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले के दोषियों को रिहा करने के फैसले की कड़ी आलोचना हो रही है। कुछ लोगों ने दोषियों का सम्मान भी किया था, जिस पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।
