देवरिया न्यूज़

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काल बनता जा रहा पढ़ाई और करियर का प्रेशर, पैरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान

देवरिया। उत्तर प्रदेश के बरेली मेडिकल कॉलेज की एक छात्रा का शव 12 मार्च को ऋषिकेश के तपोवन में एक होटल के कमरे से मिला। छात्रा ने होटल कमरे में ही फांसी फंदे से लटककर खुदकुशी कर ली थी। कमरे से ही सुसाइड नोट भी बरामद हुआ, जिसमें उसने अपनी मौत के लिए खुद को ही जिम्मेदार माना है। बताया जा रहा है कि मेडिकल थर्ड ईयर की छात्रा का 3 सब्जेक्ट में बैक आने की वजह से वह डिप्रेशन में थी और यही उसकी आत्महत्या का कारण बन गया। फरवरी-मार्च से ही परिक्षाओं का दौर शुरू हो जाता है फिर आए दिन हमें पेपर अच्छा नहीं होने से या परिणाम के डर से स्टूडेंट्स की खुदकुशी की खबरें भी सुनने को मिलती हैं।


खुदकुशी कर छात्रा ने लिखा- “मैं नहीं ला सकती 95 प्लस मार्क्स”
मामला राजस्थान के दौसा जिले के लालसोट का है जहां बोर्ड परीक्षा शुरू होने के बाद दसवीं कक्षा की छात्रा ने फांसी फंदे से लटककर जान दे दी। छात्रा ने सुसाइड नोट छोड़ा था जिसमें उसने लिखा था- “आई एम सॉरी पापा-मम्मी, मुझसे नहीं हो पाया। मैं नहीं बना पाती 95 प्लस परसेंट। मैं परेशान हो गई हूं इस टेंथ क्लास से। मुझ से अब नहीं सहा जाता। आई लव यू मम्मी-पाप और ऋषभ, आई एम सो सॉरी…खुशी ”


कॉम्पिटीशन एग्जाम का पेपर लीक होने से खुदकुशी
बीते साल अगस्त में गुजरात के गोंडल के जयेश ने नॉन स्टाफ क्लर्क का पेपर लीक होने पर परेशान होकर खुदकुशी कर ली थी। जयेश 3-4 सालों से परीक्षा की तैयारी में लगा था। पिता मजदूरी करते थे और पिता को मजदूरी से छुटकारा दिलाने के लिए ही परीक्षा की तैयारी में लगा था। लेकिन पेपर लीक होते ही उसकी सारी तैयारी और उम्मीद खत्म हो गई और उसने खुदकुशी कर ली। पेपर लीक होने की वजह से ही राजस्थान में रीट का पेपर लीक होने से राजस्थान, हनुमानगढ़ के कन्हैयालाल ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली थी। कन्हैया की शादी हो जाने से उस पर जल्दी नौकरी पाने का बहुत दबाव था। वहीं 2021 में तमिलनाडु के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली छात्रा जो डॉक्टर बनना चाहती थी उसने नीट का पेपर लीक होने से हताश होकर खुदकुशी कर ली थी।


कॉम्पिटिशन इतना की प्रेशर नहीं झेल पा रहे परीक्षार्थी
आज के समय में स्कूलिंग से शुरु हुआ कॉम्पिटीशन नौकरी पाने तक जारी रहता है और कुछ हद तक वर्कप्लेस में भी। कोई इसे झेल जाता है तो किसी के लिए यह जिंदगी और मौत का सवाल बन जाता है। स्कूलों में टीचर्स को और घर में माता-पिता को बच्चों पर इतना प्रेशर कभी नहीं डालना चाहिए कि बच्चा इतने दबाव में आ जाए कि फेलियर के डर से ही खुदकुशी जैसा खतरनाक कदम ही उठा लें। अच्छी पढ़ाई और अच्छे करियर के लिए सलाह और प्रोत्साहन देने के साथ-साथ उन्हें हार का सामना करना भी सिखाएं। बच्चों और नौकरी की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को समझना होगा कि जिंदगी में दूसरे मौके भी होते हैं।

बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखना बहुत जरूरी
आज का समय ऐसा है कि आप बच्चों को डांट, मार कर या उन पर दबाव बनाकर किसी भी बात के लिए राजी नहीं कर सकते। आपके कहे गए शब्द बच्चों पर क्या असर करते हैं कुछ कह नहीं सकते। हमेशा बच्चों से दोस्त की तरह व्यवहार करें, जिससे बच्चे बड़े होने के बाद भी वे अपनी परेशानियों और तनाव को आपसे डिस्कस करें। माता-पिता को भी बच्चे की हर बात को गंभीरता से सुनना होगा। अगर आपको लगता है आपका बच्चा, भाई-बहन या दोस्त में से कोई, किसी भी तनाव भरी परिस्थिति से गुजर रहा है तो उन्हें एक अच्छे काउन्सलर से जरूर मिलवाएं। इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि हार और जीत जीवन के दो पहलू हैं, जिंदगी और मौत के नहीं।

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