देवरिया : शरद पूर्णिमा सनातन धर्म के सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक है। हिन्दू पंचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा का त्यौहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाते है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है। इसे रास पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा और कौमुदी पूर्णिमा भी कहते हैं। ये दिन देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए विशेष माना जाता है। मान्यताओं अनुसार इस दिन देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से उपन्न हुई थीं। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी धरती पर आती हैं और अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।
इस वर्ष पूर्णिमा तिथि सूर्योदय के साथ ही आरंभ होकर रात में 2:24 तक व्याप्त रहेगा। अतः संपूर्ण दिन पूर्णिमा तिथि प्राप्त हो रहा है। इस दिन रात्रि के मध्यान काल में माता लक्ष्मी का विशेष पूजन अर्चन किया जाता है।
शरद पूर्णिमा/मुहूर्त पूर्णिमा तिथि आरंभ: 9 अक्टूबर 2022 की सुबह 3 बजकर 44 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 10 अक्टूबर 2022 की सुबह 2 बजकर 26 मिनट तक
शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का समय
रात के समय चंद्र देव की पूजा करके उन्हें नैवेद्य के रूप में खीर का भोग लगाएं। फिर उस खीर को चांद की रोशनी के नीचे पूरे रात के लिए रख दें। फिर अगले दिन सुबह उस खीर का सेवन करें। मान्यता है ऐसा करने से व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि :
- शरद पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें और जलाश्य या कुंड में स्नान करें। इसके बाद अपने आराध्य देव को सुंदर वस्त्र, आभूषण अर्पित करके विधि विधान पूजा करें।
- रात के समय गाय के दूध से खीर तैयार करें। फिर इस खीर का भगवान को भोग लगाएं।
- रात में चंद्रमा के आकाश के मध्य स्थित होने पर चंद्र देव का पूजन करें और उन्हें खीर का नेवैद्य अर्पण करें।
- रात में खीर से भरा बर्तन चांद की रोशनी में रख दें। दूसरे दिन इस खीर को प्रसाद के रूप में दूसरे लोगों में वितरित कर दें।
- अगर पूर्णिमा का व्रत करते हैं तो इस दिन कथा जरूर सुनें।
- इस दिन भगवान शिव-पार्वती और भगवान कार्तिकेय की भी पूजा होती है।
शरद पूर्णिमा पर पूजा का महत्व
- महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रात में जागरण करें। इस दिन लक्ष्मी सूक्त का पाठ, कनकधारा स्त्रोत, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।
- कहा जाता है कि इस दिन सुबह सूर्य और चन्द्र देव की पूजा अर्चना करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
- शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि के बाद मां लक्ष्मी धरती के मनोहर दृश्य का आनंद लेती हैं। इसलिए जो इस रात में जगकर मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं मां लक्ष्मी की उन पर कृपा होती है।
शरद पूर्णिमा के दिन बने ये विशेष योग:
इस दिन ग्रहों का बहुत ही सुंदर संजोग भी बन रहा है । एक तरफ जहां चंद्रमा और बृहस्पति मीन राशि में गजकेसरी योग का निर्माण कर रहे हैं। बुध और सूर्य मिल कर बुधादित्य नामक राजयोग का निर्माण कर रहे है तथा बुध और शुक्र मिलकर लक्ष्मी नारायण नामक राजयोग का निर्माण कर रहे हैं।
- शरद पूर्णिमा पर गजकेसरी योग बना है। इस योग में विधि-विधान पूजा करने वाले जातक के जीवन में आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।
- इस दिन बुधादित्य राजयोग भी बन है। ये योग अत्यंत ही शुभ माना जाता है।
- सर्वार्थ सिद्धि योग को किसी भी तरह की खरीदारी और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।