देवरिया। दिल्ली शराब घोटाला मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। शनिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें दो दिनों की सीबीआई रिमांड में भेज दिया है। सीबीआई की पांच दिनों की कस्टडी की अवधि शनिवार को समाप्त हो रही थी, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था। सीबीआई ने सिसोदिया से और अधिक पूछताछ के लिए कोर्ट से तीन दिनों की रिमांड मांगी थी, जिसे कोर्ट ने मंजूरी नहीं दी और सिर्फ दो दिन की रिमांड स्वीकृत की। अब सिसोदिया की जमानत की अर्जी पर 10 मार्च को सुनवाई होगी।
वहीं, मनीष सिसोदिया ने कोर्ट में सीबीई पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा- वे मुझे 9-10 घंटे तक पूछताछ के लिए बिठा रहे हैं और बार-बार वही सवाल पूछ रहे हैं… यह मानसिक प्रताड़ना से कम नहीं है। उनके पास जवाब नहीं है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि हर 24 घंटे में सीबीआई मनीष सिसोदिया की मेडिकल जांच कराएं। अभी तक 48 घंटे पर मनीष सिसोदिया की सीबीआई स्वास्थ्य जांच कराई जाती थी, लेकिन अब अदालत ने 24 घंटे में मेडिकल चेकअप कराने के निर्देश दिए हैं।
आबकारी घोटाले मामले में सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ 17 अगस्त को एफआईआर दर्ज किया था। उसके बाद से लगातार सिसोदिया के निवास, कार्यालय आदि पर सर्च जारी है। मनीष सिसोदिया से तीन बार पूछताछ हो चुकी है। बीते 26 फरवरी को मनीष सिसोदिया को जांच में सहयोग नहीं करने पर सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था।
जानें क्या है शराब घोटाला का मामला
दिल्ली सरकार ने नवंबर 2021 में नई एक्साइज पॉलिसी शुरू की थी। इस पॉलिसी की वजह से दिल्ली में शराब काफी सस्ती हो गई थी और रिटेलर्स इन शराब को डिस्काउंट पर बेचना शुरू कर दिया था। वहीं, बीजेपी ने आरोप लगाया कि शराब के ठेके को बांटने में धांधली की गई है। एक्साइज मंत्री मनीष सिसोदिया ने पैसे लेकर अपने चुनिंदा डीलर्स को फायदा पहुंचाया। जुलाई 2022 में उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच को एलजी ने मंजूरी दे दी। उसी केस की जांच करते हुए सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया।
सात साल तक की सजा का प्रावधान
प्निवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 7 के तहत आरोप सिद्ध होने पर आरोपी को अधिकतम 7 वर्ष तक की सजा हो सकती है। वहीं भारतीय दंड संहिता की धारा 477 के अंतर्गत साक्ष्यों को मिटाने या उन्हें जांच एजेंसी को भ्रमित करने का आरोप के तहत अधिकतम 5 वर्ष तक की सजा हो सकती हैं। आपराधिक षड्यंत्र रचने और उस में सहभागी होने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 120b के तहत अधिकतम 2 वर्ष तक की सजा दी जा सकती है।