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प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनकी पत्नी को दिए खास तोहफे, जानिए

देवरिया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने अमेरिका दौरे पर हैं, यहां पर उन्होंने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात की। प्रधानमंत्री व्हाइट हाउस में डिनर पर आमंत्रित किए गए थे जहां राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ उनकी पत्नी जिल बाइडन भी मौजूद रहीं। डिनर के लिए खास तौर पर पीएम मोदी के पसंद के भारतीय पकवानों के साथ राष्ट्रपति बाइडन के भी पसंद की डिशेश परोसी गई थीं। पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को खास तोहफे भी दिए।


प्रधान मंत्री मोदी ने दिए खास तोहफे
पीएम मोदी ने अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडन को एक खास तरह का हीरा तोहफे में दिया है। यह हीरा सामान्य हीरा नहीं है बल्कि 7.5 कैरेट का यह डायमंड प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। यह इतना खास है कि इसे रखने के लिए बनाया गया बॉक्स भी खास तरह से डिजाइन किया गया है। हीरे के बॉक्स का नाम ‘पपीयर माचे’ है इसे कार-ए-कलमदानी के नाम से जाना जाता है। इस हीरे को इसी बक्से में रखा जा सकता है। हरे रंग का यह डायमंड भारत की 75 सालों की स्वतंत्रता और बेहतरीन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का भी प्रतीक है।


जो बाइडन को दिया खास तरह का चंदन का बक्सा
राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए प्रधानमंत्री मोदी खास तरह का चंदन का डिब्बा ले गए थे। चंदन का यह डिब्बा और इसमें रखी चीजें भी बेहद खास थीं जो भारत के अलग-अलग राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। चंदन की लकड़ी से बने इस बक्से को जयपुर के एक कलाकार ने मैसूर की खास चंदन की लकड़ी से बनाया है। इस पर हाथ से कठिन कारीगरी कर जीवों और वनस्पतियों के आकार की नक्काशी की गई है। यह बक्सा भारत की समृद्ध हस्त कला का नमूना पेश करता है।


बक्से के अंदर सामान तैयार करने के पीछे वेदों की संस्कृति
राष्ट्रपति जो बाइडन को प्रधानमंत्री के द्वारा दिया गया उपहार का बक्सा विशेष सोच के साथ तैयार किया गया है । जो बाइडन की उम्र 80 साल की हो चुकी है और यजुर्वेद के अनुसार जब कोई व्यक्ति 80 साल और 8 माह की उम्र पूरी कर लेता है, तो वो ‘दृष्ट सहस्रचंद्र’ कहलाता है। यानी ऐसा व्यक्ति जिसने 1000 पूर्ण चंद्रमा देखे हों। भारतीय वेदों में इस बात का वर्णन है कि 80 साल पूरा करने “सहस्र पूर्ण चंद्रोदयम उत्सव” मनाया जाता है। इस उत्सव में 10 अलग-अलग तरह की चीजों का दान किया जाता है। जिसे में मुख्य रूप से हिरण्यदान (सोना), आज्ञादान (घी) ), रौप्यदान (चांदी), लवणदान (नमक), गौदान (गाय), धान्यदान (अन्न), वस्त्रदान (कपड़े), गुड़दान (गुड़), भूदान (भूमि) और तिलदान (तिल के बीज), शामिल हैं। इसी संस्कृति के अनुसार चंदन के बक्से में सामान रखे गए थे।


इस प्रकार तैयार किया गया बक्सा
चंदन के इस बक्से के अंदर का सामान भी बहुत खास था जिसके माध्यम से भारतीय संस्कृति की झलक मिल रही थी। बक्से में गणेश जी चांदी की एक मूर्ति थी जिसे कोलकाता के खास कारिगरों के द्वारा हाथ से बनाया गया है। साथ में तेल का एक दीया भी रखा गया था। इसके साथ ही राजस्थान के कारीगरों के द्वारा बनाया गया 99.5 प्रतिशत शुद्ध चांदीका सिक्का भी रखा गया था। इसे रौप्यदान यानी चांदी दान के प्रतीक के रूप में रखा गया था। लवणदान यानी नमक दान के लिए गुजरात का नमक एक छोटे डिब्बे में भरकर रखा गया था। गाय दान के स्थान पर चांदी का नारियल रखा गया था। भूदान के लिए मैसूर और कर्नाटक से लाया गया चंदन का टुकड़ा रखा गया था। तिलदान के लिए तिल के बीज, हिरण्यदान यानी सोन के दान के लिए सोने का सिक्का रखा गया था। घी दान के रूप मे पंजाब का मक्खन रखा गया था। वस्त्रदान के लिए झारखंड से लाया हुआ टसर रेशम का कपड़ा, अनाज के रूप में उत्तराखंड का खास लंबे दाने वाला चावल, और गुड़ दान के लिए महाराष्ट्र से मंगाया गया गुड़ रखा गया था।


‘द टेन प्रिंसिपल उपनिषद’के पहले संस्करण की प्रति भी तोहफे में शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन के फेबर एंड फेबर लिमिटेड द्वारा प्रकाशित और यूनिवर्सिटी प्रेस ग्लासगो में मुद्रित पुस्तक ‘द टेन प्रिंसिपल उपनिषद’ के पहले संस्करण की एक प्रति भी राष्ट्रपति जो बाइडन को तोहफे में दी ।सन 1937 में, WB येट्स ने पुरोहित स्वामी के साथ सह-लेखक, भारतीय उपनिषदों का एक अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित किया। दोनों लेखकों के बीच अनुवाद और सहयोग1930 के दशक में हुआ था।


व्हाइट हाउस से पीएम मोदी को भी मिले तोहफे
जो बाइडन और जिल बाइडन ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उपहार दिए, जिसमें 20वीं सदी की शुरुआत की हस्तनिर्मित प्राचीन अमेरिकी पुस्तक गैली शामिल है। इसके अलावा एक विंटेज अमेरिकी कैमरा भी गिफ्ट किया गया। इस कैमरे के साथ जॉर्ज ईस्टमैन के, पहले कोडक कैमरे के पेटेंट का एक अभिलेखीय प्रिंट और अमेरिकी वन्यजीव फोटोग्राफी की एक किताब भी उपहार स्वरूप दी गई। बाइडन ने भी एक किताब के पहले संस्करण की प्रति भेंट की जिसका नाम “कलेक्टेड पोयम्स ऑफ रॉबर्ट फ्रॉस्ट” है।

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