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सेंगोल की स्थापना देख जिनकी आंखों में दिखी सबसे ज्यादा खुशी और चमक, कौन हैं वो जिन्होंने बनाया ऐतिहासिक सेंगोल

देवरिया।देश और देशवासियों के लिए 28 मई 2023 का दिन हमेशा के लिए यादगार रहेगा। इस दिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को लोकतंत्र का एक नया और भव्य मंदिर मिला है। इसके साथ ही एक और ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने शायद ही कभी सोचा होगा कि उन्हें ये दिन देखने का मौका मिलेगा। वो हैं सिंगोल को बनाने वाले जौहरी 97 साल केवुम्मिदी एथिराजुलु और 88 साल केवुम्मिदी सुधाकर जो संसद के लोकार्पण समारोह में शामिल हुए थे। अपनी आंखों के सामने सेंगोल को इतनी सम्मानित जगह स्थापित होते देखना उनके लिए किसी सपने की तरह था।

वुम्मिदी सुधाकर और उनके भाई ने बनाया था सेंगोल
सेंगोल बनाने की जिम्मेदारी मद्रास के स्वर्णकार वुम्मिदी बंगारू चेट्टी को दी गई थी और इसके निर्माण में वुम्मिदी एथिराजुलु और उनके भाई वुम्मिदी सुधाकर ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। दोनों भाइयों ने इसे एक महीने से भी कम समय में बनाया था। जिसके लिए उन्हें उस समय 15 हजार रुपए दिए गए थे। 5 फीट लंबाई वाले सेंगोल को मुख्य रूप से चांदी से बनाया गया है जिसपर सोने की परत भी चढ़ाई गई है। उसके सबसे ऊपर महादेव के वाहन नंदी की आकृति बनाई गई है। नंदी को न्यायपूर्ण शासन का प्रतीक माना जाता है।


आंखों में साफ दिखी सेंगोल के सही जगह स्थापना की खुशी
जिन्होंने 20 वर्ष की आयु में अपने भाई के साथ सेंगोल को बनाया था तब सोचा भी नहीं होगा की सालों बाद फिर से उनके बनाए हुए संगोल को इतना सम्मान और सही स्थान मिलेगा। संसद के उद्घाटन और सेंगोल के स्थापना पर वुम्मिदी भी आमंत्रित थे। अपने बनाए हुए इस ऐतिहासिक सेंगोल को प्रधानमंत्री के द्वारा मिलने वाले सम्मान उसकी संसद में उसकी स्थापना देखकर वुम्मिदी सुधाकर की आंखों में एक अलग ही चमक और गर्व का भाव नजर आ रहा था।

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