देवरिया : हिमाचल प्रदेश में पांच साल बाद सरकार बदलने का रिवाज जारी है। इसका फैसला हो चुका है। गुरुवार को विधानसभा चुनाव के लिए हुई मतगणना के नतीजों में कांग्रेस ने 40 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। वहीं, भाजपा 25 सीटों पर ही सिमट गई। तीन सीटों पर निर्दलियों ने जीत हासिल की है। इस बार एक मात्र महिला प्रत्याशी जीत कर विधानसभा पहुंची हैं।
हालांकि, भाजपा की एक प्रतिशत से भी कम मतों के अंतर से हार हुई है। कांग्रेस को 43.90 और भाजपा को 43.00 प्रतिशत वोट पडे़। इस बार चुनावी मैदान में कुल 412 प्रत्याथी थे। मतगणना के लिए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे।
कुछ मतगणना केंद्रों के बाहर सुरक्षा बलों ने ड्रोन से भी निगरानी की। राज्य की चौदहवीं विधानसभा के लिए 12 नवंबर को मतदान हुआ था। 8 दिसंबर को सुबह 8:00 बजे 68 केंद्रों पर कड़े सुरक्षा घेरे और सीसीटीवी की कड़ी निगरानी में मतगणना शुरू हुई। हर मतदान केंद्र पर लगभग 50 कर्मचारियों की तैनाती की गई थी। 10 में से आठ मंत्री चुनाव हार गए हैं। केवल दो मंत्री सुखराम चौधरी और बिक्रम सिंह ही जीत पाए हैं। एक अन्य मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर ने भी उनकी परंपरागत सीट गंवा दी है।
मैं चुनाव परिणामों का सम्मान करता हूंः जयराम रमेश
जयराम ठाकुर ने कहा कि बीजेपी हिमाचल प्रदेश चुनाव में 1 फीसदी से भी कम वोट शेयर से हार गई, और कांग्रेस ने राज्य के इतिहास में सबसे कम वोट शेयर के साथ जीत हासिल की। लेकिन मैं चुनाव परिणामों का सम्मान करता हूं। आशा है कि कांग्रेस जल्द ही अपना मुख्यमंत्री चुनेगी और राज्य के लिए काम करना शुरू करेगी।
मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में यह पहली जीत हैः भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष एम खड़गे के नेतृत्व में यह पहली जीत है, लोगों ने फिर से कांग्रेस पर भरोसा किया है। भाजपा के हालिया राजनीतिक रुझानों के मद्देनजर हम खरीद-फरोख्त की संभावना से इनकार नहीं कर सकते हैं।