देवरिया। कोरोना महामारी से देश अब उबर चुका है लेकिन गुड़गांव की रहने वाली एक महिला ने डर की वजह से खुद को तीन साल कैद रखा। उसने खुद को और अपने 11 साल के बेटे को तीन सालों से अपने अपार्टमेंट में बंद करके रखा था। महिला को डर था कि बाहर निकलने से उसे और उसके बेटे को भी कोरोना हो जाएगा। हालात यह है कि मां-बेटे ने तीन सालों से धूप तक नहीं देखी थी।

पति को भी नहीं दी घर में एंट्री
कोरोना की पहली लहर में जब पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था तब पूरे परिवार ने खुद को पूरी तरह से लॉक कर लिया था। उसके बाद जब थोड़ी ढिलाई दी गई तब महिला का पति काम पर जाने लगा उसके बाद से ही महिला ने पति का भी घर में आना बंद करा दिया। महिला का पति अलग से किराए का मकान लेकर रहने लगा था और समय-समय पर महिला को जरूरी चीजें लाकर घर की सीढ़ियों पर ही दे देता था।

बच्चे को परीक्षा के लिए भी नहीं जाने दे रही थी महिला
महिला के पति ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, कि अब कोरोना का कहर पहले की तरह भयावह नहीं है। अब जिंदगी सामान्य हो गई है। लेकिन महिला समझने को तैयार ही नहीं थी। बात तब बढ़ गई जब महिला ने अपने बच्चे को एग्जाम देने के लिए स्कूल जाने की भी इजाजत नहीं दी। तब महिला के पति को लगा कि वो किसी प्रकार की मानसिक परेशानी से गुजर रही है।

महिला के पति ने पुलिस से मांगी मदद
महिला के पति ने हार मानकर पुलिस से मदद मांगी। तब पुलिस ने महिला कॉन्सटेबल और डॉक्टरों की टीम के साथ मिलकर महिला को घर से बाहर निकलवाया। महिला किसी सफाई वाले को भी घर में नहीं आने देती थी जिसके चलते पूरा घर तीन साल के कचरों से भरा पड़ा था। महिला और उसके बच्चे की फिजिकल मेडिकल जांच के बाद मां को मनोचिकित्सक के पास ले जाया गया है ताकि उनके मन से कोरोना संक्रमित हो जाने का डर निकाला जा सके। वहीं बच्चे को उसके पिता को सौंप दिया गया है। बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ्य है।