देवरिया : एशिया का आर्थिक केंद्र कहे जाने वाले हॉंगकॉंग के हालात एक बार फिर खराब होते नजर आ रहे हैं. इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में ही जीडीपी पिछले साल की तुलना में चार फीसदी तक गिर गई है. 2020 के बाद जब कोरोना संक्रमण की वजह से सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी, तबसे अब तक की यह सबसे बड़ी गिरावट है. इसके बाद हालात बेहतर होने के अनुमान लगाए जा रहे थे. ब्लूमबर्ग ने अपने सर्वे में अर्थव्यवस्था की इस तिमाही में 1.3 फीसदी तक गिरने की आशंका जताई थी, लेकिन अब हालात उससे कहीं बुरे दिख रहे हैं.
दरअसल जब दुनिया के तमाम देश कोरोना के साथ जीना सीखने की बात कर अपनी आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह खोल रहे हैं, चीन कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की चपेट में है. कई शहरों में पूरी तरह लॉकडाउन लगा और कई जगह स्थानीय स्तर पर कई पाबंदियां लगाई गईं. हॉन्गकॉन्ग में भी इन पाबंदियों की वजह से कारोबार में तेजी नहीं आ पाई. शाम 6 बजे के बाद रेस्टोरेंट और बार पर पाबंदी है. जिम और ब्यूटी सैलून्स पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं. कोरोना की इस नई लहर से हजारों जानें गई हैं तो करीब 10 लाख लोग इसकी चपेट में आए. लिहाजा इस साल के शुरुआती तीन महीनों में ही कारोबार में गिरावट दर्ज की गई. फरवरी में खुदरा कारोबार में 14 फीसदी और मार्च महीने में निर्यात में 8.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
हॉन्गकॉन्ग के चीफ एक्जीक्यूटिव कैरी लैम कहते हैं कि सरकार चीजों को दोबारा खोलने की तैयारी कर रही है. कई पाबंदियां भी खत्म की जाएंगी. दो हफ्ते बाद रेस्टोरेंट और बार रात 10 बजे से आधी रात तक के लिए खोल दिए जाएंगे. हालांकि हॉन्गकॉन्ग में बहुत कुछ चीन में कोरोना महामारी के नियंत्रण पर निर्भर करता है, जिसकी वजह से चीन और हॉन्गकॉन्ग के बीच सामानों की आवाजाही नहीं हो पा रही है. यहां तक कि मार्च में ही हॉन्गकॉंन्ग से चीन को निर्यात में पिछले साल के मुकाबले 12.8 फीसदी की गिरावट आई है.
इन सबके अलावा हॉन्गकॉन्ग को ऊंची ब्याज दरों के साथ ही अपनी मुद्रा पर दबाव का सामना करना पड़ रहा है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व इस सप्ताह फिर से ब्याज दरें बढ़ाने के लिए तैयार है. हॉन्गकॉन्ग की बड़ी निर्भरता अपने पर्यटन उद्योग पर भी है, लेकिन बॉर्डर खुलने के बाद ही इसमें तेजी आ पाएगी. कुछ रियायत कारोबार के लिए आने वाले लोगों को दी गई है, लेकिन उन्हें भी कोरोना टेस्ट और होटल आइसोलेशन से गुजरना पड़ रहा है. ऐसे हालात में जब तक कोरोना संक्रमण कम नहीं हो जाता और सभी तरह की पाबंदियां हटाते हुए बॉर्डर और बाजार पूरी तरह नहीं खुल जाते, हॉन्गकॉन्ग के आर्थिक हालात बेहतर होते नहीं नजर आते.