देवरिया: केंद्र सरकार ने पीएफआई (Popular front of India) पर 5 साल का बैन लगा दिया है। PFI के साथ-साथ 8 और संगठनों के खिलाफ एक्शन लिया गया है। गृह मंत्रालय द्वारा पीएफआई समेत इन संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने ये कार्रवाई यूएपीए (UAPA) के तहत की है। हाल ही में एनआईए, कई राज्यों की पुलिस और एजेंसियों ने पीएफआई के ठिकानों पर कार्रवाई कर सैकड़ों लोगों को अरेस्ट किया है।
आरएसएस पर बैन की मांग
एक तरफ जहां सरकार के इस कदम का स्वागत हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के नेताओं ने आरएसएस पर भी बैन की मांग की है। कांग्रेस ने सरकार के इस कदम का भले स्वागत किया है लेकिन पार्टी से सांसद के सुरेश समेत कई नेताओं ने आरएसएस पर प्रतिबंध की मांग की है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने आरएसएस पर बैन लगाने की मांग की है। वहीं हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने कहा कि पीएफआई की सोच का विरोध करते हैं लेकिन संगठन पर बैन को सपोर्ट नहीं किया जा
सकता।

अधिसूचना के बाद कार्रवाई शुरू
केरल से पीएफआई के राज्य सचिव अब्दुल सथर को गिरफ्तार कर लिया गया है। महाराष्ट्र में पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच अधिकारियों ने पीएपआई के नवी मुंबई स्थित कार्यालय में लगे होर्डिंग को हटाया है। वहीं पुणे में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़कर और मिठाई बांटकर पीएफआई पर बैन का जश्न मनाया है। वहीं महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा है कि भारत सरकार ने पीएफआई पर बैन लगाने संबंधी अधिसूचना जारी की है। यह अधिसूचना राज्यों को भी कुछ शक्तियां देती है, महाराष्ट्र भी कार्रवाई करेगा। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। इस संगठन को दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बनाया गया था। इस वक्त देश के कई राज्यों में यह संगठन सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई तेजी से फैला है। इस संगठन पर देशविराधी कार्य करने के आरोप लगते रहे हैं।