देवरिया। साल में दो बार नवरात्र का महापर्व आता है। पहले चैत्र नवरात्र उसके बाद शारदीय नवरात्र। चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र का शुभारंभ हो जाता है। इस साल चैत्र नवरात्र 22 मार्च दिन बुधवार से शुरू हो रहा है। नवरात्र के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपसना का विशेष महत्व बताया गया है। नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा का विधान है। इससे पहले जानते हैं, घटस्थापना के शुभ मुहर्त और इसके नियम के बारे में…
घटस्थापना का मुहूर्त
चैत्र नवरात्र की घटस्थापना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन होती है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि 21 मार्च को रात 10 बजकर 52 मिनट से लेकर 22 मार्च को रात 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। इसलिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 22 मार्च को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। घटस्थापना के लिए सिर्फ 01 घंटा 09 मिनट की अवधि आप को मिलेगी।
घटस्थापना के नियम
घटस्थापना या कलश स्थापना के दौरान कुछ विशेष नियमों को ध्यान में रखना जरूरी होता है। सबसे पहले देवी मां की चौकी सजाने के लिए उत्तर-पूर्व दिशा का स्थान चुनें। इस स्थान को साफ कर गंगाजल से शुद्ध कर लें। एक लकड़ी की चौकी रखकर उस पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाकर देवी मां की मूर्ति की स्थापना करें। इसके बाद प्रथम पूज्य गणेश जी का ध्यान करें और कलश स्थापना करें।
नौका पर सवार होकर आ रहीं मैया रानी
इस साल चैत्र नवरात्र पर मां दुर्गा नौका पर सवार हो कर आ रही है। नौ जल परिवहन का साधन है। ज्योतिषियों की मानें तो मां दुर्गा जब नाव पर आती हैं तो यह अच्छी बारिश और अच्छी फसल का संकेत होता है। नौका वाहन के साथ मां दुर्गा का आगमन इस बात का संकेत होता है कि आदी शक्ति आपको मनोवांछित फल देने वाली है।
पूजन विधि
नवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहने। इसके बाद चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा और कलश स्थापित कर व्रत का संकल्प लें और ध्यान करें। मां शैलपुत्री को सफेद कपड़े अर्पित करें और कथा का पाठ और आरती कर पूजा संपन्न करें।
मां शैलपुत्री को पसंद है सफेद रंग
मां शैलपुत्री को सफेद रंग बेहद पसंद है। ऐसे में उनकी पूजा के दौरान सफेद फूलों का जरूर इस्तेमाल करें। पूजा में मां शैलपुत्री को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करना बहुत शुभ माना
जाता है। इसके साथ ही मां शैलपुत्री को दूध, मेवे आदि से बनी सफेद रंग की मिठाईयों
का भोग भी लगाया जा सकता है।
मां शैलपुत्री का मंत्र: माता शैलपुत्री के पूजना के समय इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं-
-ऊँ
देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
-वन्दे वाञ्छितलाभाय
चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं
यशस्विनीम्॥
-या देवी सर्वभूतेषु
शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥