देश में जल्द ही Electric Vehicles (EV) इतने सस्ते होंगे कि लोग सिर्फ दो पहिया ही नहीं बल्कि कारों के लिए भी पेट्रोल-डीजल की बजाय EV लेने लगेंगे। अभी उम्मीद लगाई जा रही थी कि 2030 तक भारत की सड़कों पर 40 फीसदी EV होंगे, लेकिन एक नई खोज की वजह से अब यह संभव होगा कि भारत में बनने वाली बैट्रियां सस्ती होंगी। अगले एक-दो साल में ही भारत में ईवी बूम आ सकता है। दरअसल भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण को जम्मू-कश्मीर में लिथियम के बड़े भंडार के बारे में पता चला है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण यानी GSI जो लगातार देश में कीमती धातुओं की खोज में लगा रहता है कि इस खोज के बाद भारत दुनिया में चिली और ऑस्ट्रेलिया के बाद लिथियम आयन रिजर्व वाला तीसरा देश बन गया है।
सलाल कोटली के दम्मन कोट में मुख्य भंडार
लिथियम का मुख्य भंडार सलाल कोटली के दम्मन कोट में है। यह भंडार जिस जगह पर है, वह इलाका आबादी वाला क्षेत्र है। यहां पर करीब 10 हजार की आबादी है। लिथियम भंडार वाली ज्यादातर जमीन निजी है। सलाल कोटली के ऊपरी हिस्से में 40 फीसदी और निचले हिस्से में 60 प्रतिशत लिथियम भंडार की जानकारी मिली है।
इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में यह बहुत अहम खोज
इलेक्ट्रॉनिक सामानों और खासकर गाड़ियों के बढ़ते चलन को देखते हुए लिथियम का इतना बड़ा भंडार मिलना भारत को इस क्षेत्र में बहुत आगे ले जा सकता है। आपने भी लिथियम आयन बैटरी का नाम सुना होगा। इलेक्ट्रिक वाहनों में लीथियम आयन बैटरियों की ही मांग होती है क्योंकि दूसरी बैटरी की तुलना में लिथियम आयन बैटरी से इलेक्ट्रिक वाहनों की रेंज बढ़ती है। लिथियम आयन बैटरी वाली कार एक चार्ज में करीब 700 किलोमीटर तक चल सकती हैं। वहीं जिस फोन में लीथियम आयन बैटरी हो वह एक चार्ज में 2 दिन से ज्यादा चल सकते हैं।
खत्म होगी दूसरे देशों पर निर्भरता
बैटरी से चलने वाली लगभग सभी चीजों में और सोलर पैनल्स में लिथियम मुख्य घटक होता है। लिथियम टेक्नोलॉजी के दौर में भारत लिथियम बैटरी की आपूर्ति के लिए अब तक दूसरे देशों पर निर्भर है। आयात होने के चलते लिथियम बैटरी से संचालित सभी चीजों के दाम ज्यादा होते हैं। देश में ही लिथियम बैटरी के तैयार होने से Electronic सामानों के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।
59 लाख टन भंडार होने का अनुमान
जम्मू कश्मीर में मिले भंडार के लगभग 59 लाख टन होने का अनुमान लगाया जा रहा है। लिथियम की इस मात्रा ने लिथियम भंडार वाले देशों में भारत को तीसरे स्थान पर पहुंचा दिया है। दूसरे खनिजों के मामले में भी दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म करने के लिए जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया देश के दूसरे भागों में भी खनिज भंडारों की खोज की जा रही है। कश्मीर के अलावा आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना में अलग-अलग खनिजों का पता लगाया गया है।
