देवरिया। जब भी भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेताओं, ओजस्वी वक्ताओं और बेहतरीन नेताओं की चर्चा होगी, पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज याद की जाएंगी। 6 अगस्त 2019 को सुषमा जी ने इस दुनिया को तो अलविदा कह दिया था लेकिन उनका व्यक्तित्व हमेशा हमारे जेहन में रहेगा। आज सुषमा स्वराज की जयंती है। हर कोई उन्हें अपने-अपने तरीके से याद कर रहा है। उनकी बेटी बांसुरी स्वराज ने बहुत भावुक पोस्ट कर अपनी मां को श्रद्धांजलि दी है।

आपको भी भावुक कर देगा बांसुरी स्वराज का पोस्ट
मां की जयंती पर बांसुरी स्वराज ने ट्वीट कर लिखा- “मां जन्मदिवस की हार्दिक बधाई। आपकी कितनी याद आती है इसकी अभिव्यक्ति के लिए शब्द पर्याप्त नहीं होते और भाषा सिमट कर रह जाती है। यह आश्वासन जरूर है कि आपका स्नेह, आशीर्वाद, संस्कार, और शिक्षा, सदैव मेरा मार्ग प्रशस्त करते रहेंगे”। इस पोस्ट के साथ उन्होंने सुष्मा स्वराज की केक काटते हुए फोटो शेयर की है।
सबसे लोकप्रिय विदेश मंत्री
सुषमा स्वराज पहली मोदी कैबिनेट में विदेश मंत्री थीं। मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने विदेशी मामलों को बहुत अच्छी तरह से सुलझाया। अब भी लोग उन्हें अब तक की सबसे लोकप्रिय विदेश मंत्री मानते हैं। उनकी पहचान पार्टी से कहीं बढ़कर उनके काम से थी। 2015 में नेहा पारिक नाम की एक महिला ने इस्तांबुल में फंसे अपने मां-बाप के लिए उनसे मदद मांगी थी जिस पर उन्होंने तुरंत नेहा की मदद की थी। इतना ही नहीं विदेश ने भी उन्हें मदद के संदेश आते थे और वो उतनी ही सिद्दत से उनकी मदद करतीं, जितना अपने नागरिकों की करती थीं। 2017 में एक पाकिस्तानी महिला ने अपनी बेटी की सर्जरी के लिए मेडिकल वीजा के अप्रूव नहीं होने की बात साझा की थी, जिस पर सुषमा स्वराज ने उन्हें तुरंत वीजा दिलवाया था।
उनकी तरह सी सादा था उनका निजी जीवन
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला कैंट में हुआ था। उनके पिता हरदेव शर्मा राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ सदस्य थे। पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से वकालत की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर प्रैक्टिस भी की थी। इसके साथ उनके पास संस्कृत और राजनीति विज्ञान में भी डिग्री थी। 1975 में उन्होंने स्वराज कौशल से शादी की। उनकी एक ही संतान है, जिनका नाम बेटी बांसुरी स्वराज है। राजनीति में वो जितनी दबंग महिला थीं निजी जीवन उतना ही सरल और सहज। माथे पर बड़ी लाल बिंदी और चेहरे पर आत्मविश्वास का तेज ही उनकी असली पहचान थी।
एबीवीपी से जुड़कर की राजनीतिक जीवन की शुरूआत
• 70 के दशक में एबीवीपी से जुड़कर सुषमा स्वराज ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरूआत की और आपातकाल के बाद भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गईं।
• राजनीति की समझ और अपनी बात रखने की कला के चलते बहुत जल्दी ही अपना नाम बना लिया और महज 25 साल की उम्र में देवी लाल की अगुवाई वाली जनता पार्टी सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गईं।
• 1987 से 1990 तक वों हरियाणा की शिक्षा मंत्री रहीं और सिर्फ 27 साल की उम्र में हरियाणा जनता पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष बनाई गईं।
• स्वराज भारत की किसी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी की प्रथम महिला प्रवक्ता बनीं।
• इनके अलावा भी ये भाजपा की प्रथम महिला मुख्य मंत्री, केन्द्रीय मन्त्री, महासचिव, प्रवक्ता, विपक्ष की नेता एवं विदेश मंत्री बनीं।
• वे भारतीय संसद की प्रथम और एकमात्र ऐसी महिला सदस्य रहीं, जिन्हें आउटस्टैण्डिंग पार्लिमैण्टेरियन सम्मान मिला है।
• सुषमा स्वराज ने चार राज्यों से 11 बार सीधे चुनाव लड़े। कुल मिलाकर वह 7 बार संसद सदस्य और 3 बार विधान सभा सदस्य रही थीं।
• 21 दिसंबर2009 को सुषमा श्री लाल कृष्ण आडवाणी की जगह पर पहली बार पहली महिला नेता विपक्ष बनी थीं।