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भारत के अलग-अलग राज्यों में इस नाम से जानी जाती है “रंगोली”

देवरिया। दिवाली का त्योहार आते ही घरों के बाहर सुंदर रंगोलियां दिखाई देने लगती है। रंगोली भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है। हर राज्य में खास मौके पर और त्योहारों पर रंगोली बनाई जाती है। लेकिन हर राज्य में रंगोली अलग-अलग नाम से बनाई जाती है। आइए जानते हैं अलग-अलग रंगोलियों की क्या खासियत होती है।

1. चौक पूरना – छत्तीसगढ़ में रंगोली को ‘चौक पूरना’ कहा जाता है। इसे चावल के आटे से बनाया जाता है, खासतौर पर सुबह-सुबह दरवाजे पर चौक पूरने की परंपरा है। यहाँ पूजा स्थल पर भी चावल के आटे से चौक पूरना जरूरी माना जाता है। इसे बनाने के लिए अलग-अलग आकृतियों के सांचों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें ठप्पा कहा जाता है।

2. अरिपन रंगोली – बिहार में ‘अरिपन’ नाम से रंगोली बनाई जाती है, जो मिथिला कला का एक रूप है। इसे आंगन और दीवारों पर विशेष अवसरों पर उंगलियों से बनाया जाता है। इसके लिए चावल को पीसकर तैयार किया गया गाढ़ा घोल इस्तेमाल होता है, जिसे ‘पिठार’ कहते हैं।

3. मांडना रंगोली – राजस्थान की रंगोली को ‘मांडना’ कहते हैं। इसे ज्यामितीय और पुष्प आकृतियों में बनाया जाता है, जिसमें धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं का समावेश होता है। मांडना बनाने में चाक और चूने के पेस्ट का उपयोग होता है।

4. अल्पना रंगोली – बंगाल में ‘अल्पना’ नामक रंगोली बनाई जाती है, जिसे खासतौर पर महिलाएं धार्मिक और सामाजिक अवसरों पर घर के आंगन और दीवारों पर बनाती हैं। यह चावल के पाउडर या पतले चावल के पेस्ट से बनाई जाती है।

5. ऐपण रंगोली – उत्तराखंड में रंगोली को ‘ऐपण’ कहा जाता है। इसे खासतौर पर पूजा स्थलों और घर के दरवाजों पर बनाया जाता है। यह कला एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचती है और इसके डिज़ाइन सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखते हैं।

6. झोटी और चिता रंगोली – उड़ीसा में झोटी या चिता रंगोली बनाई जाती है, जिसमें चावल के आटे के पेस्ट का उपयोग होता है। इसे उंगलियों से उकेरा जाता है और यह खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय है।

7. कोलम रंगोली – केरल में रंगोली को ‘कोलम’ कहा जाता है। इसे सूखे चावल के आटे से बनाया जाता है। ओणम के दौरान फूलों से विशेष ‘पुकोलम’ बनाई जाती है, जो बहुत सुंदर और विस्तृत होती है।

8. मुग्गु रंगोली – आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश में रंगोली को ‘मुग्गु’ कहा जाता है। इसे चाक और कैल्शियम के पाउडर से बनाया जाता है। त्योहारों के दौरान महिलाएं इसे घर के हर कोने में सजाती हैं।


इन सभी रंगोलियों में चावल के आटे का उपयोग किया जाता है, जो चीटियों, पक्षियों और छोटे कीड़ों के लिए भोजन का स्रोत भी बनता है। इस प्रकार, रंगोली बनाना सिर्फ सजावट का हिस्सा नहीं, बल्कि प्रकृति के लिए एक दान भी है।

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