देवरिया। भारत, जो दुनिया के सबसे ज्यादा युवा आबादी वाला देश है, यहां बुजुर्गों की देखभाल का बाजार तेजी से बढ़ा है। इसके लिए सीनियर वर्ल्ड, 60 प्लस इंडिया, एमोहा, जेनवाइज, एल्डर एड वेलनेस, गुड फेलोज जैसी कई स्टार्टअप खुल गए हैं। पिछले दो साल में इस सेक्टर में निवेश 16 गुना बढ़ा है। जहां 2021 में बुजुर्गों की देखभाल करने वाली कंपनियों में सिर्फ 12 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था, वहीं 2023 में अब तक 198 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया गया है। देश में इस वक्त 15 करोड़ लोग 60 साल से ज्यादा उम्र के हैं, यानी हर दसवां भारतीय बुजुर्ग है। निवेशकों को उम्मीद है कि देश में जैसे-जैसे औसत आयु बढ़ेगी बुजुर्गों की संख्या और उनके देखभाल की जरूरत बढ़ेगी। यूएनपीएफ (यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड) की एजिंग रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 2050 तक भारत में बुजुर्गों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।
ऐप के जरिए बुजुर्गों की जरूरत होती है पूरी
बुजुर्गों की देखभाल का कारोबार मुख्य रूप से दो हिस्सों में बंटा है- एक टेक आधारित सेवाएं और दूसरी नॉन टेक सेवाएं। 60 हजार बुजुर्गों को सेवाएं दे रहे एमोहा का उदाहरण लें तो यह ऐप के जरिए बिल जमा करने से लेकर टैक्सी बुक करने जैसी सहूलियत देता है। जेन वाइज स्टार्टअप में करीब 30 करोड़ का निवेश करने वाली मैट्रिक्स पार्टनर्स इंडिया के प्रिंसिपल सिद्धार्थ अग्रवाल कहते हैं- बुजुर्ग जेन जी की तरह ऐप्स नहीं बदलते। अगर वे एक ऐप से संतुष्ट हैं तो वे फिर उसी ऐप से अपने सारे काम करते हैं। अभिजीत पाई और जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने ग्रहाज स्टार्टअप की शुरुआत की है। यह बुजुर्गों के लिए घर और हेल्थकेयर की सुविधा देता है। कंपनी के सह संस्थापक अभिजीत पाई कहते हैं- बुजुर्गों को खास तरह के स्वास्थ्य जरूरतों को हम पूरा कर रहे हैं। इस वक्त 4.20 करोड़ बुजुर्ग शहरों में रह रहे हैं। इन लोगों को हम हाउसिंग से लेकर हेल्थकेयर उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं।
नेमा एल्डक केयर के संस्थापक और सीईओ संजीव कुमार कहते हैं- भारत के टायर 2 और 3 शहरों में बुजुर्ग माता-पिता को वृद्धाश्रमों में रखने सामाजिक तौर पर ठीक नहीं समझा जाता, जबकि उन्हें मदद की जरूरत है क्योंकि बच्चे विदेश जा चुके हैं या फिर दूसरे शहरों में हैं। ऐसे में उनके बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल हम कर रहे हैं। टायर 1 शहरों में एनआरआई बुजुर्गों का बड़ा सेगमेंट है।
कोविड के दौरान टेक फ्रेंडली हुए बुजुर्ग
दक्षिण भारतीय राज्यों खासकर केरल में बुजुर्गों की देखभाल का कारोबार बेहतर है। यहां बड़ी संख्या में बुजुर्ग कंपनियों की सेवाएं ले रहे हैं। कोलकाता, पुणे, गुरुग्राम और चंडीगढ़ में भी कंपनियों के जरिए बुजुर्गों की देखभाल का ट्रेंड बढ़ रहा है। कोराना महामारी के दौरान टेक से दूर भागने वाले बुजुर्ग टेक का इस्तेमाल सीखने व करने लगे। वे राशन तक ऐप के जरिए मंगाना सीख गए। इसके बाद ही टेक आधारित बुजुर्गों की देखभाल के लिए खुले स्टार्टअप का कारोबार तेजी से बढ़ा।



