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अब तक हिंसा से बचा मणिपुर का जिरिबाम जिला भी जला, सोशल मीडिया से फैली अफवाह बनी वजह

देवरिया। महीनों हिंसा की आग में जलने के बाद मणिपुर कुछ शांत हुआ ही था कि 6 जून की शाम फिर से वहां के जिरीबाम जिले में हिंसा भड़क गई। हालाकी सुरक्षाबलों ने हालात को तुरंत नियंत्रण में कर लिया लेकिन पिछले दिनों हुई हिंसा की वजह से इलाके में लोग अभी भी दहशत में हैं। दो समुदायों के बीच चल रहे विवाद की वजह से मणिपुर जैसा शांत माना जाने वाला राज्य महीनों तक अशांत रहा। इस बीच कई लोगों की जान गई और कितने ही लोगों के घर जला दिए गए। जिरीबाम इलाके में हुई हिंसा का कारण सोशल मीडिया पर फैली अफवाह को माना जा रहा है।

कई संवेदनशील इलाकों में लगी धारा 144


स्थिति को देखते हुए जिरीबाम के कई संवेदनशील इलाकों पर धारा 144 लगा दी गई है। हिंसा वाले इलाकों में सीआरपीएफ की 3 अतिरिक्त कंपनियां भी तैनात की गई हैं। जिले में सैकड़ों लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। 3 दिन में कुकी और मैतेई लोगों के कम से कम 150 घर जला दिए गए हैं। करीब 2000 लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। आपको बता दें मणिपुर में 3 मई 2023 हिंसा जारी है। लेकिन अब तक जिरिबाम जिले में किसी प्रकार की कोई हिंसा नहीं हुई थी ये इलाका पुरी तरह से शांत था। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर दो दिन बाद जिले का दौरा करेंगे।

सोशल मीडिया से फैली हिंसा

इस शांत इलाके में अचानक फैली हिंसा का कारण सोशल मीडिया को बताया जा रहा है। दरअसल इलाके में एक युवक का शव मिला था। जिसे बाद में सोशल मीडिया में युवक की हत्या को जातीय कारणों से हुई हत्या बता दिया गया। इसके बाद से ही जिले में तनाव बढ़ता गया जिसने हिंसा का रूप ले लिया। पुलिस अब सोशल मीडिया अपडेट पर भी सक्रिय रूप से नजर रख रही है, जो लोग समुदायों के बीच सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश करेंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस अधिकारी ने आम जनता से अनुरोध किया है कि वे गलत जानकारी फैलाने से बचें।

कुकी युवक और मैतई बुजुर्ग का मिला था शव

14 मई को 21 साल का कुकी युवक सौगौलेन सिंगसन लापता हो गया था, जिसका शव 3 दिन बाद जिरी नदी से बरामद हुआ। उसके बाद इलाके में तनाव फैलने लगा। किसी भी अप्रीय घटना की आशंका से कई समुदाय को मिलाकर इलाके में शांति के लिए एक कमेटी बनाई गई और हिंसा रोकने की कोशिश की गई। लेकिन 6 जून को जिरीबाम में फिर एक लाश मिली जो 59 साल के एक मैतेई व्यक्ति की थी। इसके बाद से ही जिले में हिंसा फैलनी शुरू हो गई। मैतेई संगठनों का कहना है कि सोइबाम सरतकुमार सिंह 6 जून को अपने खेत पर गए थे, जिसके बाद वह लापता हो गए और बाद में उनका शव भारी जख्मों के साथ मिला था। मैतेई लोगों का आरोप है कि इलाके में सक्रिय उग्रवादियों ने सरतकुमार की हत्या कर दी। इस घटना के बाद सबसे पहले उग्र प्रदर्शनकारियों ने जिरीबाम नगर पालिका में कुछ कुकी घरों में आग लगा थी और धीरे-धीरे हिंसा जिरीबाम के कई हिस्सों में फैल गई।

जिरीबाम से लगे असम के जिले में हाई अलर्ट

जिरीबाम में हुई हिंसा को देखते हुए यहां से लगे असम के कछार जिले को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है। असम के लखीमपुर से विधायक कौशिक राय ने बताया कि जिरीबाम से भागकर आए करीब 1000 लोगों ने कछार जिले में शरण ली हुई है। यह संख्या बढ़ती जा रही है। कुकी के अलावा मैतेई लोग भी असम में आए हैं। कछार जिले के लखीमपुर उप-मंडल में विशेष कमांडो तैनात किए गए हैं।

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