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सिद्धवट घाट में मिलता है गया तर्पण का पुन्य, सुरक्षित है 200 साल पुरानी वंशावली

देवरिया। हिंदु धर्म में पितृ पक्ष बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। हर घर में अपने पीतरों को याद कर तर्पण किया जाता है। उज्जैन के सिद्धवट घाट (siddawat ghat)में इस दौरान बहुत से लोग अपने पूर्वजों का तर्पण करने आते हैं। यह घाट इसलिए मशहूर है क्योंकी यहां के पंडे और पुजारियों के पास सालो पुराने बही खाते हैं। इन बही खातों में सैकड़ों परिवारों के पूर्वजों के नाम, गांव और गोत्र अभी भी सुरक्षित रखे हुए हैं।

200 साल पुरानी पोथी भी सुरक्षित

यहां के पंडितों के पास कई परिवारो के 200 सालो पुराना लेखा-जोखा सुरक्षित रखा हुआ है। इन्होंने इतने पुराने डेटा को बिना कंप्यूटर के सुरक्षित रखा हुआ है। इनके पास मौजूद सभी पोथियों में जानकारी हाथ से लिखी हुई है। पल भर में ही ये पंडित जजमना के परिवार से जुड़ी सालों पुरानी जानकारी सामने ला देते हैं। इन पोथियों ने सिर्फ तर्पण में ही मदद नहीं की है। इनसे कई संपत्ति विवाद से जुड़े कोर्ट केस भी हल हुए हैं।

नाम और शहर से निकली है वंशावली

दरअसल सिद्ध वट घाट में (siddawat ghat) पूजा पाठ और तर्पण कराने वाले तीर्थ पुरोहित पीढ़ियों से यह काम करते आ रहे हैं। इनके पूर्वजों ने जजमानों की जानकारी संरक्षित करने की परंपरा शुरु की थी जो आज लगभग 200 साल बाद भी जारी है। सदियों से कोई भी जजमान तीर्थ के लिए आता हो तो उनके और उनके पूर्वजों के नाम पोथी में दर्ज कर लिए जाते हैं। इनकी पोथी में नाम के सामने पूर्वजों के दस्तखत भी देखनों को मिलते हैं। जो कई अपनी वंशावली की जानकारी चाहता है वो व्यक्ति यहां अपना नाम, गोत्र और शहर का नाम बताकर अपनी पूरी वंशावली निकलवा सकता है। बहुत से ऐसे लोग भी आते हैं जो अपने पिता या दादा के हस्ताक्षर देखकर काफी भावुक हो जाते हैं।

गया जी के समान मिलता है पुन्य

पितृ पक्ष में उज्जैन के इस सिद्धवट (siddawat ghat)घाट में तर्पण के लिए बहुत भीड़ रहती है। तर्पण के लिए सिद्धवट घाट की काभी मान्यता है। कहा जाता हैं यहां तर्पण करने से गया जी में किए गए तर्पण के समान पुन्य मिलता है। उज्जैन के आसपास के लोग जो गया जी जाने में सक्षम नहीं है वो सिद्धवट घाट पर आकर पितृ तर्पण करते हैं।

क्या है यहां के वटवृक्ष की मान्यता?

कहा जाताहै यहां लगे वटवृक्ष को स्वयं माता पार्वती ने लगाया था। इस वटवृक्ष का वर्णन स्कंद पुराण में भी देखा जा सकता है। कहा जाता है ऐसे वट वृक्ष देश में सिर्फ 4 जगहों पर है। पितृ शांति के लिए इस वट वृक्ष की पूजा की जाती है। यह वट वृक्ष सिद्धवट घाट किनारे ही लगा हुआ है।

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