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छत्तीसगढ़ का पोला तिहार: मिट्टी के बैल और खिलौनों की होती है पूजा, सीएम बघेल ने शेयर की पत्नी की पकवान बनाते तस्वीर

देवरिया: कृषि प्रधान देश भारत के छत्तीसगढ़ राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। यहां खेती-किसानी से जुड़े कई त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक पर्व है पोला। इस त्योहार को भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने का मतलब है खरीफ फसल के दूसरे चरण का पूरा हो जाना। जिसके लिए बैलों के प्रति कृतज्ञता दिखाई जाती है और इस दिन उनकी पूजा की जाती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोगों को पोला तिहार की बधाई दी है।

कृषि कार्य की होती है मनाही
ऐसी मान्यता है कि इस दिन ही धान की बालियों में दूध भरता है यानी की धान के अंदर चावल बनने की प्रक्रिया की शुरुआत होती है। इसलिए खेतों को पूरी तरह से आराम दिया जाता है और खेतों में किसी प्रकार का कृषि कार्य नहीं किया जाता।

पोला त्योहार के पीछे की मान्यता
ऐसी मान्यता है कि कृष्ण जन्म के बाद जब कंस ने कई असुरों को भेजकर उन्हें मारने की कोशिश की थी तब उनमें से एक राक्षस था पोलासुर। जिसका कृष्ण जी के बाल रूप ने अपनी लीलाओं से वध कर दिया था। उस दिन भाद्रपद की अमावस्या थी। इसी के चलते इस दिन पोला त्योहार मानाया जाता है और इस दिन को बच्चों के खेल खिलौने का विशेष महत्व होता है।

मिट्टी के बैल और खिलौनों की भी होती है पूजा
बच्चों को भी खेती में काम आने वाले बैलों के महत्व को समझाने के लिए मिट्टी के बैल के जोड़ों की पूजा की जाती है। इसके साथ ही बच्चियों के लिए मिट्टी के खिलौने लिए जाते हैं और उसकी भी पूजा की जाती है। इसमें मिट्टी की बनी चक्की का महत्व होता है जिसे क्षेत्रीय बोली में जाता कहा जाता है। इससे बच्चे खेती के साथ-साथ घर-गृहस्थी और रसोई से जुड़ी परंपराओं के बारे में जानते हैं। हालांकि अब खेतों में बैलों से जुताई और घरों में चक्की और चूल्हे का चलन कम हो गया है।

भोग के लिए बनते हैं पारंपरिक पकवान
जब भी छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पकवानों की बात आती है तो सबसे पहले नाम आता है ठेठरी और खुरमी का। ठेठरी बेसन से बनी नमकीन और खुरमी आटे से बना मीठा पकवान होता है। पोला के दिन इन्हीं दोनों पकवानों को मुख्य रूप से बनाया जाता है और भोग लगाया जाता है। पहले के समय में बच्चे अपने बैलों के कंधों पर इन पकवानों की गठरी बांध कर बैल चलाया करते थे और बच्चियां छोटे मटके में ठेठरी और खुरमी रखकर खेला करती थीं। कुछ ग्रामीण इलाकों में आज भी ये परंपरा कायम है।

शाम को होता है खेल का आयोजन

दिन भर अपने-अपने घरों में त्योहार मनाने के बाद शाम को गांव के लोग एक स्थान पर जमा होते हैं, जिसमें युवतियां अपने घरों से एक छोटे मटके जैसे खिलौने में प्रसाद भरकर लाती हैं और उसे नदी के किनारे या गौठान में पटक कर फोड़ती हैं। इसे पोरा पटकना कहते हैं। ये गाय-बैल और नदियों के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने की एक परंपरा है। इसके अलावा महिलाओं और पुरुषों के अलग-अलग ग्रुप कई पारंपरिक खेल खेलते हैं। कुछ स्थानों में बैल दौड़ का भी आयोजन किया जाता है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दी बधाई
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व सीएम रमन सिंह समेत तमाम क्षेत्रों के लोगों ने प्रदेशवासियों को पोला तिहार की बधाई दी है। सीएम हाउस में पोला का त्योहार मनाया गया। सीएम भूपेश बघेल ने अपनी पत्नी की तस्वीर शेयर की है, जिसमें वे पांरपरिक पकवान बनाती नजर आ रही हैं। मुख्यमंत्री खुद सेलीब्रेशन का हिस्सा बने।

छत्तीसगढ़ के इस पारंपरिक त्योहार के साथ हम आपको यहां के पारंपरिक पकवान बनाने की विधि भी बताएंगे ताकि आप कहीं भी रहकर इनका स्वाद चख सकें।

ठेठरी बनाने की विधि

सामाग्री:- ठेठरी बनाने के लिए आपको चाहिए बेसन, हल्दी, नमक, लाल मिर्च पावडर, आजवायन और तेल।
विधि- सबसे पहले बेसन में हल्दी, नमक, आजवायन, लाल मिर्च पाउडर और थोड़ा तेल जिसे मोयन कहते हैं डालकर अच्छी तरह गूथ लें। बेसन का डो ना ज्यादा कड़ा होना चाहिए और ना ज्यादा नरम। इसके बाद हाथों से इसकी पतली-पतली बातियां बनाकर अपना मनचाहा आकार दे दीजिये और फिर मीडियम आंच पर धीरे-धीरे तेल में तलने दीजिए।

खुरमी बनाने की विधि

सामाग्री:- गेहूं का आटा, गुड़ या शक्कर, थोड़े से भुने हुए मूंगफली के दाने, सफेद तिल, मोयन के लिये घी और आटा गूथने के लिए दूध।

विधि- खुरमी बनाने के लिए सबसे पहले आटे में घी का मोयन डाल लें। ध्यान रहे मोयन ज्यादा होने पर खुरमी तेल में डालने पर फूटने लगेगी। इसलिए इतना ही मोयन डालें की मुठ्ठी बांधने पर आटा बंधने लगे। इसके बाद उसमें भुनी हुई मूंगफली के टुकड़े करके डालेंगे और फिर सफेद तिल। फिल धीरे-धीरे दूध डालकर थोड़ा कड़ा डो तैयार कर लेंगे। उसके बाद या तो बेलकर मनचाहे आकार में खुरमी काट लें या पारंपरिक तरीके से हाथों में लेकर बड़े और चपटे आकार दे दें, जिसे मुठिया कहा जाता है और फिर मीडियम आंच पर धीरे-धीरे लाल होने तक सिकने दें।

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