देवरिया: उत्तर प्रदेश में हुई लगातार बारिश से कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। फसलों के भी बाढ़ के पानी में डूबने से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। बरहज और आस-पास के इलाकों में भी बाढ़ से काफी नुकसान हुआ है। गांववालों का कहना है कि शासन-प्रशासन की तरफ से अब तक किसी प्रकार की सहायता नहीं पहुंच पाई है। जिसकी वजह से गांव के लोगों में आक्रोश है।

जन प्रतिनिधियों ने किया दौरा
पंचायत प्रतिनिधि महासंघ के अध्यक्ष बृजेंद्र मणि त्रिपाठी के नेतृत्व में डॉक्टर चतुरानन ओझा, विजय जुआठा, राष्ट्रीय दिव्यांग संघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता झाबर पांडे, वेद प्रकाश, बृजेश कुशवाहा, कामरेड अरविंद कुशवाहा, पूर्व प्रधान शंभू नाथ कुशवाहा के प्रतिनिधिमंडल ने बरहज के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल ने बरहज, रगड़गंज, गौरा, तिवारीपुर, जयनगर, मेहियवा, कोटवा में बाढ़ से प्रभावित इलाके का जायजा लिया और ग्रामीणों से बाढ़ की वजह से आ रही समस्याओं पर भी बातचीत की।

अब तक नहीं पहुंची कोई मदद
आरोप है कि बाढ़ की चपेट में आए गांववालों के लिए सरकार की तरफ से अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है। बरहज टाउन एरिया के रगड़गंज गांव के ग्रामीणों ने बताया कि पूरा गांव बाढ़ के पानी में डूबा हुआ है लेकिन सरकार की तरफ से आने वाले अधिकारी सड़कों का ही दौरा करके चले जाते हैं। गांव के अंदर क्या हालात हैं और ग्रामीणों को किस प्रकार की सहायता की जरूरत है, इसका जायजा नहीं लिया जाता। पूरा गांव डूबा हुआ है लेकिन अभी तक किसी तरह की मदद नहीं पहुंचाई गई है। अधिकारी सड़कों से दौरा करते हुए चले जाते हैं लेकिन ग्राम वासियों की स्थिति का कोई संज्ञान नहीं लेते। लोगों ने बताया कि सरकार की तरफ से 40 लोगों के लिए सहायता आने की बात कही जा रही है। ग्रामीणों का कहना है ‘सिर्फ 40 लोगों की सहायता से क्या होगा, हम सहायता तभी लेंगे जब पूरे गांव के लिए सहायता सामग्री भेजी जाएगी।’

तुरंत मिलनी चाहिए थी सहायता: ओझा
डॉक्टर चतुरानन ओझा ने कहा कि इस संकट के दौर में शासन को युद्ध स्तर पर तत्काल लोगों को सहायता देना चाहिए थी। अभी तक सभी पीड़ितों को किसी तरह की सहायता न पहुंचा पाना और लोगों को उनके हाल पर छोड़ देना बेहद शर्मनाक और अमानवीय है। कुछ पैकेट्स बांटे गए थे, जिनमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की फोटो छपी हुई थी, ये केवल प्रसार करने का तरीका लग रहा है।

सहायता नहीं पहुंचने पर ग्रामीणों में आक्रोश
प्रतिनिधिमंडल के लोगों ने कहा कि प्रशासन लोगों पर डंडे बरसाने और जुर्माना वसूलने के लिए जितना मुस्तैद रहता है, उतना ही अगर इस विपत्ति में लोगों को सहायता देने के लिए सक्रिय होता तो आज ग्रामीणों को इस पीड़ा से नहीं गुजरना पड़ता। बाढ़ग्रस्त इलाके के लोग सहायता मिलने में हो रही देरी से नाराज हैं और जिला मुख्यालय में प्रदर्शन करने की बात कर रहे हैं।